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IAS-IPS अफसरों को जेल की राह? होटल मारपीट मामले में गिरफ्तारी आदेश से होश उड़े अफसरों के!

अजमेर की कोर्ट ने एक सनसनीखेज मामले में 12 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, जिसमें IAS अधिकारी गिरधर कुमार, IPS अधिकारी सुशील बिश्नोई, तहसीलदार, पुलिसकर्मी और पटवारी शामिल हैं।
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 Ajmer Crime News: अजमेर की कोर्ट ने एक सनसनीखेज मामले में 12 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, जिसमें IAS अधिकारी गिरधर कुमार, IPS अधिकारी सुशील बिश्नोई, तहसीलदार, पुलिसकर्मी और पटवारी शामिल हैं। इन आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने 11 जून 2023 को रात 2 बजे जयपुर रोड स्थित होटल मकराना राज में कर्मचारियों को डंडों और रॉड से बेरहमी से पीटा।( Ajmer Crime News) इस मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट (क्रम-2, अजमेर) ने गेगल थाना पुलिस के एफआर को नामंजूर कर दिया और एसपी को निर्देश दिया कि वह आरोपियों के खिलाफ वारंट तामील कराएं। कोर्ट ने इस मामले की नियमित सुनवाई के लिए केस डायरी तलब की और हर सोमवार को एसपी से इस मामले की प्रगति रिपोर्ट मांगी।

न्यायिक हस्तक्षेप से आई बड़ी राहत

मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पाई गई, क्योंकि मामले में उच्च अधिकारियों की संलिप्तता और पुलिस की निष्क्रियता की वजह से इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझ नहीं पा रही थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन गंभीर आरोपों के बावजूद स्थानीय प्रशासन ने सरकार को उचित जानकारी नहीं दी, जिसके कारण मामला और जटिल हुआ।

सीसीटीवी फुटेज से आई सच्चाई

सीसीटीवी फुटेज में IAS और IPS अधिकारियों की शामिल होने की पुष्टि हुई, जिसके बाद पूरे मामले की जांच में एक नया मोड़ आया। प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठने लगे, और इसी कारण सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी।

आरोपी अधिकारी सस्पेंड, फिर बहाल

शुरुआत में इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई थी। लेकिन सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद सरकारी अधिकारियों को निलंबित किया गया। हालांकि, बाद में इन अधिकारियों को बहाल भी कर दिया गया, जिससे यह मामला और भी विवादास्पद बन गया।

होटल के कर्मचारियों के मुताबिक, उन पर किया गया हमला बर्बर था और पूरी रात होटल में गहमा-गहमी का माहौल बना रहा। पीड़ित कर्मचारियों ने पुलिस की मदद लेने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनकी मदद करने की बजाय हमलावर अधिकारियों का समर्थन किया।

न्यायालय से एसपी को कड़ी चेतावनी

कोर्ट ने एसपी को कड़ी चेतावनी दी कि वे आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट को तुरंत तामील कराएं, अन्यथा उन्हें हर सोमवार को तामील न होने के कारणों की रिपोर्ट अदालत में देनी होगी। यह निर्देश न्यायिक प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया गया।

मामले की गंभीरता को लेकर बढ़ी चर्चा

अजमेर के इस मामले ने न केवल स्थानीय बल्कि राज्यभर में हलचल मचा दी है। पुलिस, प्रशासन और सरकार की लापरवाही के कारण इस मामले में कई अनसुलझे सवाल सामने आ रहे हैं, जिन्हें अब सीबीआई जांच से सुलझाने की उम्मीद जताई जा रही है।

आरोपियों की गिरफ्तारी का दबाव

इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अब कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस को विशेष कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही, एसपी से हर सप्ताह रिपोर्ट देने की मांग ने मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या न्यायिक आदेशों के बाद गिरफ्तारी होती है, और आरोपियों को सजा मिलती है या नहीं।

इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए...

आईएएस गिरधर, सीईओ माडा श्रीगंगानगर, आईपीएस सुशील कुमार बिश्नोई, डीसीपी, जयपुर मेट्रो मुकेश कुमार निवासी पीपलू टोंक। कनिष्ठ सहायक हनुमान निवासी टोंक। कांस्टेबल मुकेश कुमार निवासी सीकर। पटवारी नरेंद्र चौधरी निवासी टोंक ,सुरेंद्र निवासी खींवसर। तहसीलदार रामधन गुर्जर।  तत्कालीन एएसआई रूपाराम निवासी डेगाना। कांस्टेबल गौतमराम निवासी रूपनगढ़। कांस्टेबल मुकेश यादव निवासी अलवर। तत्कालीन गेगल एसएचओ सुनील बेड़ा।

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