Kota: आत्महत्या का कारण? कोचिंग स्टूडेंट के पंखे से लटकने के बाद पिता का दिल दहला देने वाला खुलासा!
Kota Coaching Student Suicide: कोटा में JEE की तैयारी कर रहे 16 साल के मयंक ने शनिवार को अपनी जान ले ली। उसने पंखे के कुंदे पर रस्सी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली, जबकि कमरे में एंटी हैंगिंग डिवाइस भी लगा हुआ था। मयंक के पिता, जो बिहार से शनिवार को कोटा पहुंचे, उनके लिए यह हादसा न केवल दिल तोड़ने वाला था, बल्कि एक गहरी सच्चाई का भी सामना था।
पिता ने कहा, "मयंक अपनी इच्छा से आठ महीने पहले पढ़ाई के लिए कोटा आया था, लेकिन वह यहां के पढ़ाई के दबाव को सहन नहीं कर पाया। कोचिंग से भी अक्सर मैसेज आते थे कि वह क्लास में एब्सेंट रहता है। जब (Kota Coaching Student Suicide) उससे बात करते तो कहता था, 'मैं सेकेंड बैच में जाऊंगा'।" यह घटना न केवल एक बेटे के दुखद निधन की कहानी है, बल्कि उस सिस्टम की भी जो युवा छात्रों पर असहनीय दबाव डालता है।
कोचिंग के दबाव में आया एक... युवा जीवन
मयंक सिंह, 11वीं का छात्र, जो कोटा में JEE की तैयारी कर रहा था, ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। वह विज्ञान नगर थाना क्षेत्र के एक कोचिंग छात्र और वेलकम प्राइम हॉस्टल में रह रहा था। पंखे के कुंदे से फांसी लगाकर मयंक ने अपनी जान ली, जबकि कमरे में एंटी हैंगिंग डिवाइस भी लगाया हुआ था।
परिजनों से आखिरी बातचीत ...स्थिति
मयंक के पिता, निलेश ने बताया कि आखिरी बार उनकी मयंक से 19 तारीख को बात हुई थी, जब उसने बताया था कि वह हॉस्टल बदल रहा है और सभी छात्र दूसरे हॉस्टल में शिफ्ट हो रहे हैं। मयंक ने हमेशा अपनी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन किया था और मैट्रिक में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। वह परिवार का इकलौता बेटा था और अपनी इच्छा से कोटा पढ़ाई के लिए आया था, लेकिन यहां पढ़ाई का दबाव नहीं सह पाया। कोचिंग से भी बार-बार यह सूचना मिलती थी कि मयंक क्लास में एब्सेंट रहता था और वह सेकेंड बैच में जाना चाहता था।
पढ़ाई के दबाव... आत्महत्या के कारण
विज्ञान नगर थाना सीआई, मुकेश मीणा के मुताबिक, मयंक बिहार के गांव मन्नार भीकमपुरा भटोली जिला वैशाली का रहने वाला था। शुक्रवार सुबह करीब 10:30 बजे सुसाइड की सूचना मिलने के बाद, जब स्टाफ ने गेट तोड़ा, तो मयंक का शव पंखे से लटकता हुआ पाया गया। पुलिस का मानना है कि मयंक को पढ़ाई में कमजोर होने का एहसास था, जिससे वह तनाव में था और उसकी अटेंडेंस भी कम थी। हालांकि, सुसाइड नोट नहीं मिला है और परिजनों के आने के बाद स्थिति साफ हो सकेगी।
हॉस्टल प्रशासन की लापरवाही
मयंक के पिता निलेश बैंक ऑफ बड़ौदा में नौकरी करते हैं और उनका कहना था कि मयंक को लेकर कई बार शिकायतें आई थीं। उसे पढ़ाई के दबाव में बहुत तनाव हो रहा था, लेकिन वह किसी से अपनी परेशानी साझा नहीं करता था। उसकी सबसे ज्यादा बातचीत अपने दादाजी से होती थी। इस हादसे ने न केवल परिवार को गहरा सदमा पहुंचाया, बल्कि कोटा के कोचिंग सिस्टम पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।
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