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Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan: अचलेश्वर महादेव मंदिर में होती है शिव के अंगूठे की पूजा, दिन में 3 बार बदलता है शिवलिंग का रंग

Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan: माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। इस हिल स्टेशन को धरती पर वाराणसी के बाद भगवान शिव का दूसरा घर यानी अर्धकाशी कहा जाता है। इसका कारण है माउंट आबू और उसके आस पास...
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(Image Credit: Rajasthan First)

Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan: माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। इस हिल स्टेशन को धरती पर वाराणसी के बाद भगवान शिव का दूसरा घर यानी अर्धकाशी कहा जाता है। इसका कारण है माउंट आबू और उसके आस पास एक नहीं, बल्कि 108 शिव मंदिरों का होना। इन्हीं शिव मंदिरों में एक विशेष मंदिर है अचलेश्वर महादेव मंदिर (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan)। यह मंदिर माउंट आबू से 11 किलोमीटर दूर अचलगढ़ में स्थित है। यह मंदिर अचलगढ़ किले के पास स्थित है। इस मंदिर की भक्तों के बीच विशेष मान्यता है।

किसने कराया था मंदिर का निर्माण

मान्यता है कि मंदिर का निर्माण परमार राजवंश द्वारा 9वीं शताब्दी में कराया गया था। परमार वंश द्वारा ही अचलगढ़ किले (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan) की मूल संरचना का निर्माण किया गया था। बाद में 1452 ईस्वी में महाराणा कुंभा द्वारा इसे पुनर्निर्मित कर अचलगढ़ नाम दिया गया।

अचलेश्वर महादेव मंदिर में शिव के अंगूठे की होती है पूजा

यहां पर स्थित 108 शिव मंदिरों में से अचलेश्वर महादेव मंदिर (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan) अपनी अनूठी सुंदरता और पूजा के विशिष्ट तरीके के लिए अधिकांश शिव मंदिरों की तुलना में काफी प्रसिद्ध है। यहां भक्त शिव के पैर के अंगूठे की पूजा करते हैं। यह एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां शिवलिंग के बजाय महादेव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। मंदिर परिसर में कच्छप, मत्स्य, राम, वराह नरसिंघम, कलंगी अवतार नामक हिंदू धर्म के विभिन्न देवताओं के अन्य छोटे मंदिर शामिल हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां अविवाहित लड़के और लड़कियां अपने विवाह के लिए भगवान अचलेश्वर से प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना भगवान शिव पूर्ण करते हैं।

क्या है इस मंदिर की महत्ता

इस मंदिर का एक दिलचस्प इतिहास है कि कैसे यह चूने से ढंका होने के बाद इस स्थिति में आया। मंदिर के द्वार के सामने ही दो विशाल भैंसों के साथ नंदी की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। मान्यता के अनुसार यहां के नंदी पंचधातु से बने हैं। मंदिर के गर्भगृह के जीर्णोद्धार के दौरान पता चला कि इसका निर्माण ईंटों से नहीं बल्कि संगमरमर के एक विशाल खंड से किया गया था। अधिक खुदाई करने पर गर्भगृह के चारों ओर एक पथ मिला जो प्रथा के अनुसार परिक्रमा के लिए था। मंदिर के भीतर एक अर्धवृत्ताकार गड्ढा है जहां भक्त महादेव के दाहिने पैर के अंगूठे पर जल (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan) चढ़ाते हैं। आज तक किसी को भी यह पता नहीं चल सका है कि यहां जो जल डाला जाता है वह कहां जाता है। स्थानीय लोगों के बीच मान्यता है कि यह गड्ढा नरक यानी पाताल लोक का द्वार है। मंदिर के पास एक तालाब है, जिसमें तीन बड़ी पत्थर की भैंस की मूर्तियां हैं। इन जर्जर भैंसों को राक्षसों का प्रतिनिधि माना जाता है।

मंदिर में दिन में 3 बार बदलता है शिवलिंग का रंग

अचलेश्वर महदेव मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यहां के शिवलिंग का रंग दिन में तीन बार बदलता है। यहां शिवलिंग (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan) का रंग सुबह लाल, दोपहर में केसर और शाम को गेहुंआ दिखता है। शिवलिंग के रंग परिवर्तन का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। कुछ लोगों का मानना है कि शिवलिंग पर सूर्य की किरणें अलग-अलग समय पर अलग-अलग ढंग से पड़ती हैं, इसलिए उनका रंग बदलता है। यहां रंग परिवर्तन के इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए सुबह से शाम तक भारी संख्या में भक्त उमड़ते हैं।

महाशिवरात्रि और सावन पर उमड़ती है लाखों में भीड़

महाशिवरात्रि और सावन के पावन अवसर पर अचलेश्वर महादेव मंदिर (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan) में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। महाशिवरात्रि पर यहां दूर-दूर से भक्त मंदिर में पूजा करने और आशीर्वाद लेने आते हैं। इस दौरान मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया जाता है। साथ ही दिन और रात में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। श्रद्धालु पवित्र शिवलिंग पर बिल्व पत्र, दूध और जल चढ़ाने सहित पारंपरिक पूजा भी करते हैं। इस समय यहां का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है। महाशिवरात्रि के अलावा नवरात्रि और दीवाली में भी अचलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं।

अचलेश्वर महादेव मंदिर तक कैसे पहुंचें?

माउंट आबू में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan) तक पहुंचने के लिए विभिन्न माध्यमों से यात्रा की जा सकती है। यदि आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है, जो यहां से लगभग 185 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से माउंट आबू पहुंचने के लिए कोई टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकते हैं। यदि आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो आबू रोड रेलवे स्टेशन निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन माउंट आबू से लगभग 28 किलोमीटर दूर है। आबू रोड से मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी और बस सेवा भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा माउंट आबू सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। उदयपुर, अहमदाबाद और जयपुर जैसे नजदीकी शहरों से बस या निजी टैक्सी किराए पर लेकर जा सकते हैं।

यहां जाने का सबसे अच्छा समय

गर्मी के मौसम में राजस्थान में भीषण गर्मी पड़ती है, लेकिन मंदिर माउंट आबू की पहाड़ियों पर स्थित है। इसलिए यहां का मौसम काफी बढ़िया रहता है। इसलिए गर्मी के मौसम में मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को अधिक परेशानी नहीं होती। दरअसल यह मंदिर राजस्थान में स्थित है, इसलिए नवंबर से लेकर मार्च (Achaleshwar Mahadev Temple Rajasthan) के आसपास सर्दियां यहां की यात्रा के लिए सबसे अनुकूल समय है। मानसून की बारिश कभी-कभी पर्यटन में बाधा डालती है। इसलिए यदि आप भी अचलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की पूजा-आराधना करने के लिए सोच रहे हैं तो सर्दी का मौसम सबसे अनुकूल है।

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