Bhadar Aai Mata Temple: भादर आइ माता के दर्शन मात्र से दूर होते हैं भक्तों के सभी कष्ट, पूरी करती हैं हर मनोकामना
Bhadar Aai Mata Temple: गुजरात का समुद्र तट धार्मिक स्थानों से भरा पड़ा हैं। यहां सोमनाथ, द्वारका जैसे प्रसिद्ध और पौराणिक मंदिरों के अलावा कई अन्य छोटे-बड़े अनेक आस्था धाम भी मौजूद हैं। इनमें से ही ऐसा एक धाम है भादर आइ माता (Bhadar Aai Mata Temple) का । जी हाँ , नवीबंदर के नजदीक भादर नदी के किनारे स्थित भादर आइ माता जी एक प्रसिद्ध धाम है, जो भक्तों की आस्था का बड़ा प्रतीक है। बता दें कि यह मंदिर घेड पंथक से होकर भादर नदी के समुद्र से मिलन के स्थान पर स्थित है । करीब 200 साल पुराने इस मंदिर की खास बात ये है कि खारवा यानी मछुआरे समाज और आस-पास के गांव के लोगों के लिए भादर आइ श्रद्धा बड़ा केंद्र है।
भादर आइ माता का चमत्कारी प्रभाव
नवी बंदर में बसे मछुआरे (Bhadar Aai Mata Temple) समाज के लोगों के लिए तो भादर आइ माता का प्रभाव बेहद चमत्कारी है। मछुआरे प्यार से मां को टींबावाली कहकर पुकारते हैं। मां के भक्तों का कहना है कि भादर आइ माता ने कई बार उनको चमत्कार दिखाए हैं। यह माना जाता है कि भादर आइ माताजी समुद्र से प्रकट हुईं थीं। तब से ही नवी बंदर के खारवा समाज की कुलदेवी के तौर पर उनकी पूजा होती है। खारवा समाज के लोगों को भादर आइ माता (Bhadar Aai Mata Temple) के प्रति अटूट श्रद्धा है और सिर्फ नवी बंदर का खारवा समाज ही नहीं अन्य गांव और अन्य समाज के लोगों को भी भादर आइ माता के प्रति इतनी ही श्रद्धा और विश्वास है।
भक्तों का अटूट विश्वास है कि, जीवन में आई बड़ी से बड़ी मुसीबत, आफत या दुख भादर आइ माता के मात्र दर्शन भर से दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि मां के दरबार से कोई भी भक्त निराश नहीं लौटता है। ममतामयी मां (Bhadar Aai Mata Temple) के दर्शन के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बड़ी संख्या में भादर आइ माता पहुंचकर उनका आशीर्वाद और स्नेह प्राप्त करते हैं।
विपत्ति में करती हैं गांव की रक्षा
स्थानीय लोगों की मानें तो भादर आइ माता जी (Bhadar Aai Mata Temple) किसी भी तरह की विपत्ति की स्थिति में गांव की रक्षा करती हैं। दावे की पुष्टि के तौर पर उन्होंने बताया कि कितनी ही बार उनलोगों को भादर आइ माता के चमत्कार का अनुभव हुआ है। गांव के सरपंच अमित कानकीया के मुताबिक़ बीच समुंदर में फंसे मछुआरे अगर मुसीबत में एक पुकार करते हैं, तो मां का अभय कवच उन्हें सुरक्षित किनारे वापस जरूर ले आता है। इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि भादर आइ माता गांव और समाज दोनों की ही रक्षा करती हैं। गांव के सरपंच अमित कानकीया के अनुसार, "हम कभी मुसीबत में फंस जाएं, तब हे मां टींबावाली साथ रहना। कभी भी समुंदर में या किसी तूफान और बड़ी विपदा गांव या समाज पर आए तब साथ रहना। अगर कभी तूफान के बीच हमें कोई रास्ता ना दिखे, तब हमें स्वयं किसी भी स्वरूप में चिड़िया बनकर या कोई अन्य प्रताप से किनारे पहुंचा देना।"
भादर आइ माता जी का इतिहास
मान्यता है कि भादर आइ माता जी (Bhadar Aai Mata Temple) भाद्र महीने में ही समुद्र से प्रकट हुईं थीं इसलिए भाद्र सुद बारस को मंदिर में भव्य मेला भी लगता है। इस मेले में भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा नवरात्रों समेत सभी अन्य त्यौहार भी इस मंदिर में धूमधाम से मनाए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि नवरात्रि के दौरान एवं शुभ प्रसंग पर माता जी को बावन गज़ की ध्वजा चढ़ाई जाती है। बावन गज की ध्वजा चढाकर भक्त गण मां के प्रति अपना भक्ति भाव व्यक्त करते हैं। इतना ही नहीं, माता जी की पूनम भरने की भी अलग महिमा है। हर पूनम पर माता जी के दर्शन करने के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। ऐसा भी कहा जाता है, जब 200 साल पहले माता जी यहां प्रकट हुईं थीं, तब नवी बंदर खारवा समाज के बुजुर्गों ने माता जी को मुंग अर्पण किए थे और तभी से नवी बंदर खारवा समाज की ओर से भाद्र महीने में भादर आइ माता जी मंदिर में देग महोत्सव मनाया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
पूरी होती है हर मनोकामना
200 साल पुराने इस ऐतिहासिक मंदिर (Bhadar Aai Mata Temple) का खारवा समाज ने ही जीर्णोद्धार करवाया है। बता दें कि नवी बंदर समस्त खारवा समाज इस मंदिर का संचालन करता है। यहाँ सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ आने वाले भक्त अपनी मनोकामना माता जी के समक्ष रखते हैं। साथ ही मन्नत पूरी होने पर मां को नैवेद्य भी जरूर अर्पण करते हैं। भक्तों का अटूट विश्वास है कि साफ़ और निर्मल मन से यहाँ आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनायें मां जरूर पूरी करतीं हैं।
देश -विदेश से आते हैं भक्त
पूरे साल यहां देश -विदेश से भारी संख्या में भक्त आते हैं । जिनके रहने और भोजन की यहाँ पर्याप्त व्यवस्था है। यहाँ कई धर्मशाला और भोजनालय भी हैं जिससे आगंतुकों को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। वैसे तो पोरबंदर कोस्टल हाईवे (Bhadar Aai Mata Temple) पर कितने ही पौराणिक मंदिर हैं,जो लोगों के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं लेकिन नवी बंदर के नजदीक स्थित भादर आइ माता जी का मंदिर खारवा समाज के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है जहाँ सालों भर दूर-दराज़ इलाकों से आने वाले दर्शनार्थियों का मेला लगा रहता है। नवी बंदर गांव के सरपंच अमित कानकीया का कहना है कि, " इस मंदिर में भाद्र शुक्ल बारस को भव्य मेला लगता है जिसमें 40 से 50 हजार श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। वे सुबह 4 बजे के बाद प्रसाद लेकर माता के दर्शन को आते हैं। माताजी से मन्नत मांगने वाले भक्त सच्चे भाव से उनके दर्शन करने आते हैं। मां भादर आई का इतना प्रभाव है कि यहां से कोई निराश हो कर नहीं जाता है।"
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