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Dev Diwali 2024 Muhurat: देव दिवाली आज, जानें शाम को दिए जलाने का शुभ मुहूर्त

इस दिन के अनुष्ठानों में गंगा स्नान, दीये जलाना और समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करना शामिल है। देव दिवाली आध्यात्मिक शुद्धि, उत्सव और श्रद्धा का समय है, जो भक्ति और प्रकाश की सुंदरता को एक साथ लाती है
12:10 PM Nov 15, 2024 IST | Preeti Mishra

Dev Diwali 2024 Muhurat: आज देव दिवाली है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली देव दिवाली को "देवताओं की दिवाली" के रूप में जाना जाता है। दिवाली के 15 दिन बाद पड़ने वाला यह त्योहार (Dev Diwali 2024 Muhurat) राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन, पूरे भारत में, विशेष रूप से वाराणसी में, श्रद्धालु देवताओं का सम्मान करने के लिए गंगा नदी के घाटों को हजारों दीपकों से रोशन करते हैं।

इस दिन (Dev Diwali 2024 Muhurat) के अनुष्ठानों में गंगा स्नान, दीये जलाना और समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करना शामिल है। देव दिवाली आध्यात्मिक शुद्धि, उत्सव और श्रद्धा का समय है, जो भक्ति और प्रकाश की सुंदरता को एक साथ लाती है

देव दिवाली पर दिए जलाने का शुभ मुहूर्त

देव दिवाली (Dev Diwali 2024 Muhurat) के दिन प्रदोष काल में ही दिए जलाने का महत्व है। आज कार्तिक पूर्णिमा भी है। आज शाम को दिए जलाने का मुहूर्त दो घंटे 37 मिनट तक रहेगा। प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त- शाम पांच बजकर 10 मिनट से रात सात बजकर 47 मिनट तक है।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 15, 2024 को 06:19 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - नवम्बर 16, 2024 को 02:58 बजे

देव दिवाली का महत्व

देव दीपावली (Dev Diwali 2024 Muhurat) देवी-देवताओं के सम्मान में मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन, देवता पृथ्वी पर आते हैं और गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करते हैं।, भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी आत्मा को शुद्ध करते हैं। इस दिन को वाराणसी के घाटों पर लाखों दीये जलाकर, पूरे नदी तट को रोशन करके और एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य बनाकर मनाया जाता है। भक्त अपने पूर्वजों का सम्मान करने, समृद्धि के लिए प्रार्थना करने और देवताओं से आशीर्वाद लेने के लिए अनुष्ठान भी करते हैं।

यह त्योहार भगवान शिव की पूजा से निकटता से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने इसी दिन राक्षस त्रिपुरासुर का विनाश कर संसार को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। इस घटना को त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है और देव दीपावली के दौरान मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

देव दीपावली की रस्में और रीति-रिवाज

त्रिपुरा पूर्णिमा व्रत: इस दिन कई भक्त त्रिपुरा पूर्णिमा व्रत करते हैं। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत व्यक्ति के मन और आत्मा को शुद्ध करता है, शांति और समृद्धि लाता है।

दान और प्रसाद: देव दीपावली दान का भी समय है। लोग इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें वितरित करते हैं।

स्नान: ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र गंगा में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है।

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