Dhanteras 2024: 29 या 30 अक्तूबर कब है धनतेरस? जानें धन्वंतरि पूजा का शुभ मुहूर्त
Dhanteras 2024: धनतेरस, दीवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन को भगवान धन्वन्तरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक है और भगवान विष्णु के अवतारों में से एक माने जाते हैं। धन्वन्तरि त्रयोदशी (Dhanteras 2024) के दिन को धन्वन्तरि जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस शब्द दो संस्कृत शब्दों से लिया गया है: "धन," जिसका अर्थ है धन, और "तेरस", जिसका अर्थ है चंद्र पखवाड़े का 13 वां दिन। यह त्योहार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष के 13वें दिन पड़ता है।
कब है इस वर्ष धनतेरस और खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
इस वर्ष धनतेरस (Dhanteras 2024) का त्योहार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन पूजा का मुहूर्त शाम 06:51 से रात 08:20 तक है। इसी दिन यम दीपम भी है। इस वर्ष लिए धनतेरस पूजा मुहूर्त 29 अक्टूबर को शाम 6:30 बजे से 8:12 बजे तक है। त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 बजे शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 बजे समाप्त होगी।
प्रदोष काल - 17:51 से 20:20
वृषभ काल - 18:51 से 20:52
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 29, 2024 को 12:01 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 30, 2024 को 14:45 बजे
धनतेरस का महत्व
धनतेरस स्वास्थ्य और आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि और धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन, भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमरता का अमृत लेकर समुद्र से निकले थे, जो स्वास्थ्य और कल्याण का प्रतीक है। यही कारण है कि धनतेरस को धन के अलावा अच्छे स्वास्थ्य से भी जोड़ा जाता है।
कई लोगों के लिए, यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि यह नए उद्यमों की शुरुआत और आने वाले वर्ष में समृद्धि और सफलता की आशा का प्रतीक है। लोगों का मानना है कि धनतेरस पर सोना, चांदी या नए बर्तन खरीदने से सौभाग्य और वित्तीय वृद्धि होती है, जिससे समृद्ध भविष्य सुनिश्चित होता है।
परंपरा और रीति रिवाज
कीमती धातुएं खरीदना- धनतेरस पर मुख्य परंपराओं में से एक सोना, चांदी या नए घरेलू वस्तुएं, विशेषकर बर्तन खरीदना है। ऐसा माना जाता है कि ये खरीदारी सौभाग्य लाती है और आने वाले वर्ष के लिए समृद्धि सुनिश्चित करती है। कई परिवार इस दिन गहने, सिक्के या यहां तक कि गैजेट भी खरीदते हैं।
घरों की सफ़ाई और सजावट- दिवाली की तैयारी के लिए घरों और कार्यस्थलों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है और सजाया जाता है। देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए प्रवेश द्वार पर रंगोलियां बनाई जाती हैं। दीये नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और अंधेरे पर प्रकाश की विजय का प्रतीक के रूप में जलाए जाते हैं।
लक्ष्मी और कुबेर पूजा- धनतेरस पर लोग धन के लिए देवी लक्ष्मी और खजाने के देवता भगवान कुबेर की पूजा करते हैं। शाम को विशेष प्रार्थना की जाती हैं, और भक्त दीपक जलाते हैं और देवताओं को मिठाइयां और फल चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके जीवन में धन, स्वास्थ्य और खुशियां आती हैं।
यमदीप दान
इस दिन का एक अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान मृत्यु के देवता यम को दूर रखने के लिए घर के बाहर, विशेष रूप से प्रवेश द्वार के पास, दीया जलाना है। इसे "यमदीप दान" के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह परिवार को असामयिक मृत्यु से बचाता है और कल्याण सुनिश्चित करता है।
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