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Dussehra 2024: विजयादशमी 12 या 13 अक्टूबर को? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

Dussehra 2024: दशहरा जिसे विजयादशमी के रूप में भी जाना जाता है आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवन राम ने रावण का वध किया था। यह त्योहार बुराई पर अच्छे की...
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Dussehra 2024: दशहरा जिसे विजयादशमी के रूप में भी जाना जाता है आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवन राम ने रावण का वध किया था। यह त्योहार बुराई पर अच्छे की जीत का प्रतीक है। देश के कुछ क्षेत्रों जैसे बंगाल में इसे विजयादशमी (Dussehra 2024) के रूप में मनाया जाता है। विजयादशमी के दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। दशहरा के साथ ही नौ दिनों के नवरात्रि का भी समापन हो जाता है।

Dussehra 2024दशहरा और विजयादशमी तिथि और पूजा का मुहूर्त

2024 में दशहरा (Dussehra 2024) 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। वहीं बंगाल में विजयादशमी अक्टूबर 13 दिन रविवार को मनाया जाएगा। शमी पूजा, अपराजिता पूजा कुछ ऐसे अनुष्ठान हैं जिनका आयोजन विजयादशमी के दिन किया जाता है। इन अनुष्ठानों को अपराह्न समय के दौरान किया जाना चाहिये। द्रिकपंचांग के अनुसार इस दिन विभिन्न अनुष्ठानों और समारोहों का समय इस प्रकार है:

दशमी तिथि आरंभ: 12 अक्टूबर सुबह 10:58 बजे (शनिवार)
दशमी तिथि समाप्त: 13 अक्टूबर सुबह 09:08 बजे (रविवार)

श्रवण नक्षत्र प्रारंभ: 12 अक्टूबर प्रातः 05:25 बजे से (शनिवार)
श्रवण नक्षत्र समाप्त: 13 अक्टूबर 2024 प्रातः 04:27 बजे (रविवार)

विजय मुहूर्त: 02: 03 अपराह्न से 02:49 अपराह्न तक 12 अक्टूबर 2024 (शनिवार)
अपराह्न पूजा का समय: दोपहर 01:17 बजे से दोपहर 03:35 बजे तक 13 अक्टूबर 2024 (रविवार)

Dussehra 2024दशहरा कैसे मनाया जाता है?

दशहरा पूरे भारत में विविध रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। आज हम इस लेख में आपको बताने जा रहे हैं कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में दशहरा कैसे मनाया जाता है।

उत्तरी भारत- इस क्षेत्र में रामलीला का आयोजन होता है। दशहरा के ही दिन रामलीला में भगवान राम के हाथों रावण का वध होता है। रामलीला दस दिनों तक चलते हैं और दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाने के साथ समाप्त होते हैं। इस दिन जहां-जहां रामलीला होती है वहां जमकर आतिशबाजी की जाती है।

Dussehra 2024दक्षिणी भारत- इस क्षेत्र में मैसूर दशहरा बहुत प्रसिद्ध है। कर्नाटक में, मैसूर दशहरा अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति के साथ विस्तृत रूप से सजाए गए हाथियों के नेतृत्व में एक शाही जुलूस होता है। मैसूर पैलेस हजारों रोशनियों से जगमगाता है, जिससे एक शानदार दृश्य बनता है।

पश्चिमी भारत- दशहरे से पहले, गुजरात जैसे राज्यों में नवरात्रि के त्योहार में गरबा और डांडिया रास, जीवंत लोक नृत्य शामिल होते हैं जो देर रात तक जारी रहते हैं। दशहरे के दिन, देवी दुर्गा की मूर्तियों को जल निकायों में विसर्जित किया जाता है।

पूर्वी भारत- यहां दुर्गा पूजा मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, दशहरा दुर्गा पूजा के समापन के साथ मेल खाता है, जहां पंडालों में देवी दुर्गा की खूबसूरती से तैयार की गई मूर्तियां होती हैं। त्योहार का समापन नदियों या तालाबों में इन मूर्तियों के विसर्जन के साथ होता है, जो देवी की अपने दिव्य निवास में प्रतीकात्मक वापसी है। यह दिन महिषासुर पर दुर्गा की जीत का प्रतीक है।

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