• ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

February First Pradosh Vrat: इस दिन है फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें पूजा मुहूर्त

प्रदोष काल (शाम गोधूलि) के दौरान प्रदोष व्रत करने से आध्यात्मिक विकास बढ़ता है और दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होता है।
featured-img
February First Pradosh Vrat

February First Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत एक अत्यधिक शुभ हिंदू व्रत है जो महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों की त्रयोदशी तिथि (13वें दिन) को मनाया जाता है। भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित यह व्रत (February First Pradosh Vrat) पापों को दूर करने वाला, समृद्धि प्रदान करने वाला और इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।

प्रदोष काल (शाम गोधूलि) के दौरान प्रदोष व्रत (February First Pradosh Vrat) करने से आध्यात्मिक विकास बढ़ता है और दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत शांति, अच्छा स्वास्थ्य और मोक्ष लाता है। इस दिन लोग शिव की पूजा करते हैं। यह व्रत वित्तीय और स्वास्थ्य समस्याओं पर काबू पाने के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है।

February First Pradosh Vrat: इस दिन है फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें पूजा मुहूर्त

कब है फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत?

द्रिक पंचांग के अनुसार, फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत 10 तारीख को मनाया जाएगा। यह व्रत सोमवार को पड़ेगा, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) के रूप में मनाया जाएगा। सोमवार को शाम 07:28 बजे से रात 09:27 तक पूजन का मुहूर्त (Pradosh Vrat Puja Muhurat) होगा।

माघ शुक्ल त्रयोदशी आरंभ - 21:55, फ़रवरी 09
माघ शुक्ल त्रयोदशी समाप्त - 21:27, फ़रवरी 10

प्रदोष व्रत के विभिन्न प्रकार

- जब प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है तो इसे सोम प्रदोषम या चंद्र प्रदोषम कहा जाता है।
- जब व्रत मंगलवार को पड़ता है तो इसे भौम प्रदोषम् व्रत कहा जाता है।
- जब यह व्रत शनिवार के दिन पड़ता है तो इसे शनि प्रदोषम व्रत के नाम से जाना जाता है।
- जब यह व्रत रविवार को पड़ता है तो इसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं।

February First Pradosh Vrat: इस दिन है फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें पूजा मुहूर्त

प्रदोष व्रत पर शिव पूजा कैसे करें?

सुबह की तैयारी - जल्दी उठें, स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और सूर्योदय से लेकर प्रदोष काल (शाम गोधूलि) तक व्रत रखें।
मंदिर या घर की स्थापना - पूजा क्षेत्र को साफ करें, एक शिव लिंगम या शिव मूर्ति रखें, और फूलों और बिल्व पत्तियों से सजाएं।
अभिषेक - "ओम नमः शिवाय" का जाप करते हुए दूध, पानी, शहद, दही, घी और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
भगवान शिव को प्रसाद - बिल्व पत्र, चंदन का लेप, धतूरा, फल और मिठाई चढ़ाएं, क्योंकि ये महादेव को प्रिय हैं।
दीया और धूप जलाएं - घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं, जिससे पवित्र वातावरण बन जाए।
जप और आरती - शिव मंत्रों, महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ करें और शिव आरती गाकर दिव्य आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
व्रत तोड़ना - प्रदोष काल (सूर्यास्त के आसपास) में पूजा करने और सात्विक भोजन या फल खाने के बाद व्रत समाप्त करें।

यह भी पढ़ें: Ratha Saptami 2025 Pujan: इस दिन मनाई जाएगी सूर्य देव को समर्पित रथ सप्तमी, जानें मुहूर्त और महत्व

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज़ tlbr_img4 वीडियो