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Guru Purnima 2024: कल मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, जानें इसका इतिहास, महत्व और पूजा मुहूर्त

Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा एक पारंपरिक हिंदू और बौद्ध त्योहार है जो गुरुओं को समर्पित है। यह पर्व हिंदू महीने आषाढ़ में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह दिन (Guru Purnima 2024) गुरुओं या शिक्षकों की अमूल्य भूमिका...
12:48 PM Jul 20, 2024 IST | Preeti Mishra

Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा एक पारंपरिक हिंदू और बौद्ध त्योहार है जो गुरुओं को समर्पित है। यह पर्व हिंदू महीने आषाढ़ में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह दिन (Guru Purnima 2024) गुरुओं या शिक्षकों की अमूल्य भूमिका का सम्मान करता है। इस दिन शिष्य अक्सर आशीर्वाद और ज्ञान पाने के लिए अपने गुरुओं के पास जाते हैं।

कब है इस वर्ष गुरु पूर्णिमा

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2024) रविवार 21 जून को मनाई जाएगी। वैसे तो पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को शाम को ही शुरू हो जाएगी लेकिन उदयातिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 20 जुलाई 2024 को शाम 05:59 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 21 जुलाई 2024 को दोपहर 03:46 बजे
पूजा मुहूर्त - सुबह 07.19 - दोपहर 12.27

गुरु पूर्णिमा का इतिहास

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन को वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वेद व्यास लेखक होने के साथ-साथ हिंदू महाकाव्य महाभारत के एक पात्र भी थे। गुरु पूर्णिमा का बौद्ध और जैन धर्म में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। बौद्ध धर्म के अनुसार, इस दिन गौतम बुद्ध ने बोधगया से सारनाथ प्रवास के बाद अपने पहले पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश या शिक्षा दी थी। इसके बाद बौद्ध धर्म में 'संघ' की स्थापना हुई थी। वहीं जैन धर्म के अनुसार, इस दिन भगवान महावीर अपने पहले शिष्य गौतम स्वामी के 'गुरु' बने थे। इस प्रकार यह दिन महावीर की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। दूसरी तरफ प्राचीन भारतीय इतिहास के अनुसार, यह दिन किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अगली फसल के लिए अच्छी बारिश के लिए भगवान की पूजा करते हैं।

गुरु पूर्णिमा के अनुष्ठान

हिंदुओं में यह दिन अपने गुरु की पूजा करने के लिए समर्पित है जो उसके जीवन में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर व्यास पूजा आयोजित की जाती है जहां 'गुरु' की पूजा करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। पूरे दिन भक्ति गीत, भजन और पाठ किये जाते हैं।

इस दिन विभिन्न आश्रमों में शिष्यों द्वारा 'पादपूजा' या ऋषि की पादुकाओं की पूजा की व्यवस्था की जाती है और लोग उस स्थान पर इकट्ठा होते हैं जहां उनके गुरु का आसन होता है, और खुद को उनकी शिक्षाओं और सिद्धांतों के प्रति समर्पित करते हैं। कई लोग इस दिन अपना आध्यात्मिक पाठ शुरू करते हैं। इस प्रक्रिया को 'दीक्षा' के नाम से जाना जाता है।

बौद्ध इस दिन बुद्ध की आठ शिक्षाओं का पालन करते हैं। इस अनुष्ठान को 'उपोसथ' के नाम से जाना जाता है। इस दिन से वर्षा ऋतु के आगमन के साथ, बौद्ध भिक्षुओं को इस दिन से ध्यान शुरू करने और अन्य तप प्रथाओं को अपनाने के लिए जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि

- गुरु पूर्णिमा पर भक्तों को जल्दी उठना चाहिए और परमात्मा का ध्यान करना चाहिए।
- स्नान करने और साफ कपड़े पहनने के अलावा उन्हें सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए
- गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः मन्त्र का जाप करना चाहिए
- भगवान विष्णु और ऋषि व्यास को फूल, धूप, दीपक, चावल, हल्दी और अन्य वस्तुएं अर्पित करना चाहिए
- सच्चे मन से गुरु चालीसा और गुरु कवच का पाठ करने की सलाह दी जाती है
- अंत में, भक्तों को अपने जीवन में बुद्धि, ज्ञान और शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए
- देवताओं को फल, मिठाई और खीर चढ़ानी चाहिए
- इस दिन अपने गुरु की सेवा करना और जरूरतमंदों को भोजन, धन और कपड़े का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

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