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Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजन व स्नान दान पूर्णिमा आज, अमृत योग के कारण यह दिन है बहुत शुभ

Guru Purnima 2024: आज गुरु पूर्णिमा है। इस दिन का हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों धर्मों में बहुत महत्व है। आषाढ़ माह (Guru Purnima 2024) के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले गुरुपूर्णिमा, व्यास पूजन व स्नानदान पूर्णिमा का विशेष महत्व...
06:00 AM Jul 21, 2024 IST | Preeti Mishra

Guru Purnima 2024: आज गुरु पूर्णिमा है। इस दिन का हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों धर्मों में बहुत महत्व है। आषाढ़ माह (Guru Purnima 2024) के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले गुरुपूर्णिमा, व्यास पूजन व स्नानदान पूर्णिमा का विशेष महत्व है।

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य?

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा के रविवार का दिन व अमृत योग मिल रहा है। यह अत्यन्त ही शुभप्रद है। सनातन संस्कृति में आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं।

श्री पाण्डेय ने बताया कि हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु दो अक्षरों 'गु' और 'रु' से मिल कर बना है। गु का अर्थ अन्धकार और रू का अर्थ प्रकाश अर्थात् अज्ञान को हटा कर प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता हैं। गुरू (Guru Purnima 2024) की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार होता है। गुरू की कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है। उन्होंने बताया कि आदि गुरु परमेश्वर शिव मूर्ति रूप में समस्त ऋषि मुनि को शिष्य के रूप शिव ज्ञान प्रदान किया था। उनको स्मरण रखते हुए गुरु पूर्णिमा मानाया जाता है।

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय
आज के दिन ऋषियों के पूजा का है विशेष महत्व

ज्योतिषाचार्य श्री पांडेय बताते हैं कि महर्षि पाराशर, वेद व्यास, वशिष्ठ आदि ऋषियों का पूजन भी आज के दिन करने का विशेष महत्व है। आज के दिन अपने दीक्षा व शिक्षा दोनों गुरुओं की श्रद्धा पूर्वक पूजन करना चाहिए। जिससे उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन में आने वाले अन्धकार अपने आप दूर होते रहते है व गुरु की कृपा सदैव बनी रहती है। यह पर्व सनातन धर्मावलम्बियों का विशेष पर्व है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि व्यास पूर्णिमा वेदव्यास के पूजनोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्री पांडेय के अनुसार, आज के दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।

गुरु पूर्णिमा का जैन और बौद्ध धर्म में भी है महत्व

गुरु पूर्णिमा बौद्ध और जैन दोनों धर्मों में महत्व रखती है। बौद्ध धर्म में, यह उस दिन को चिह्नित करता है जब गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था, धर्म चक्र को गति दी थी, और आध्यात्मिक शिक्षकों को सम्मानित करने का दिन है। जैन धर्म में, यह 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने अपने पहले शिष्य गौतम स्वामी को दीक्षा दी थी। दोनों धर्म इस दिन का उपयोग आध्यात्मिक विकास और ज्ञानोदय के मार्गदर्शन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, अपने शिक्षकों और गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए करते हैं।

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