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Jamvant Cave in Porbandar: राम और कृष्ण दोनों से जुड़ी इस गुफा में हैं सैकड़ों शिवलिंग, एक बार जरूर करें दर्शन

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Jamvant Cave in Porbandar (Image Credit: Social Media)

Jamvant Cave in Porbandar: गुजरात की भूमि कितनी पावन है उसको इसी बात से समझा जा सकता है कि भगवान श्री कृष्ण (Jamvant Cave in Porbandar) ने मथुरा छोड़ द्वारका में रहना पसंद किया। इतिहासकार और विद्वान इसके पीछे की वजह कृष्ण की व्यूह रचना को बताते हैं लेकिन धर्मस्थ प्रजा के लिए तो यही सत्य है की गुजरात की जमीन पर वास कर श्री कृष्ण ने उसे पवित्र ही किया।

गुजरात में ऐसी कई जगह हैं जहां कृष्ण की लीलाओं का वर्णन हुआ है। आज भी लोग इन जगहों का भ्रमण करते हैं। वैसे तो कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका है, उनके आस्तित्व की हाज़िरी सोमनाथ तक मिलती है। ऐसी ही एक जगह पोरबंदर में है। यहां श्री कृष्ण के होने के प्रमाण आज भी मिलते हैं। पोरबंदर की यह जगह जामवंत गुफा (Jamvant Cave in Porbandar) के नाम से जानी जाती है। इस गुफा को जांबुवती गुफा भी कहते हैं।

Jamvant Cave in Porbandarकहाँ है जामवंत गुफा

सौराष्ट्र के पोरबंदर जिले में राणावाव से 5 किलोमीटर दूर आदित्याणा के पास बरडा पहाड की घाटी है। वहीँ पर जमीन के अंदर यह गुफा (Jamvant Cave in Porbandar) बनी हुइ है। जमीन पर एक छोटी सी पोखर (पानी के कुंड) ही इस गुफा का प्रवेश द्वार है। पोखर में लगभग 20 सीढ़ियां उतरने पर यह विशाल गुफा मिलती है। इसी गुफा को जामवंत गुफा कहते हैं। पाताल में बनी इस गुफा में प्रवेश करते ही मन शांत और व्यर्थ विचारो से मुक्त हो जाता है। यहां की हवा मन के साथ-साथ आत्मा को भी शिवमय बना देती है। प्राकृतिक रूप से बनी इस गुफा का धार्मिक के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है।

गुफा में हैं सैकड़ों शिवलिंग

ये जगह सिर्फ भगवान कृष्ण के जीवन प्रसंग की वजह से ही नहीं बल्कि यहां प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शिवलिंगों के कारण भी मशहूर है। जांबुवती गुफा (Jamvant Cave in Porbandar) में अमरनाथ की तरह ही स्वयंभू शिवलिंग बने हैं। वो भी एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों। गुफा की चट्टानो में कई प्राकृतिक जलधारा है। इनके टपकते पानी की धार से नीचे शिवलिंग बने है। लोग इन स्वयंभू शिवलिंग संरचनाओं को भगवान का चमत्कार मानते हैं। इस चमत्कार को देखने यहाँ बहुत से लोग आते हैं। इस गुफा में जैसे शिवलिंग बने है, वेसे ही चट्टान में शंख भी बना हुआ है। गुफा की संरचना इतिहास का वर्णन करती है इसलिए सरकार ने इसे एक प्राचीन स्मारक भी घोषित किया है।

गुफा का संबंध त्रेता और द्वापर युग दोनों से

पोरबंदर के बरडा पहाड की गोद में कई पौराणिक स्थल हैं। हर साल जूनागढ़ की परिक्रमा की तरह बरडा की भी परिक्रमा का आयोजन किया जाता है। यह परिक्रमा जामवंत गुफा (Jamvant Cave in Porbandar) से ही शुरू होती है। यह गुफा त्रेता युग के राम अवतार और द्वापर युग के कृष्ण अवतार दोनों से जुड़ी हुई है। रामायण में भगवान राम और रावण का युद्ध हुआ था। युद्ध में जामवंत भगवान राम के सेनापति थे। कहा जाता है कि जामवंत भगवान शिव के अनन्य उपासक थे। इस गुफा में उन्होंने स्वयं एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां के अनेकों शिवलिंगों में जामवंत द्वारा स्थापित पातालेश्वर शिवलिंग प्रमुख माना जाता है। इस पर प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक होता है। यह एकमात्र ऐसी गुफा है जहां पर रुद्राक्ष स्वरूप शिवलिंग स्थापित है। माना जाता है कि जांबुवती (Jamvant Cave in Porbandar) ने रुद्राक्ष शिवलिंग की स्थापना की थी। और वर्षों तक यहां शिव पूजा की थी। आज भी भक्त इस शिवलिंग की पूजा करते हैं। गुफा में प्रवेश करते ही परिसर में राधाकृष्ण का मंदिर है। जो कृष्ण अवतार के साथ इस स्थान का संदर्भ व्यक्त करता है। यह पौराणिक काल की गुफा जामवंत की पुत्री जांबुवंती के नाम से भी जानी जाती है।

Jamvant Cave in Porbandarजामवंत गुफा है पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्थान

जामवंत गुफा (Jamvant Cave in Porbandar) पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्थान है। 2006 में वर्तमान प्रधानमंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में शामिल करके विकास करने पर जोर दिया था। इसके बाद यहाँ लोग आने लगे। जामवंत गुफा के प्रबंधन की जिम्मेदारी संत श्री रामेश्‍वर दास जी चैरिटेबल ट्रस्ट के पास है। व्यवस्थापन की तमाम जिम्‍मेदारी ट्रस्ट निभा रहा है। इसी जगह पर भीम ग्यारस को संत रामेश्‍वर दास बापू की पुण्यतिथि पर भारी भीड़ देखने को मिलती है। उस दिन 30 से 40 हजार लोग यहाँ दर्शन करते है। इस दौरान जुलूस, महाआरती और पुरे दिन प्रसादी का आयोजन किया जाता है। यह कार्यक्रम बिना सरकारी अनुदान के लोगों के सहयोग से मनाया जाता है। इसके अलावा यहाँ शिवरात्रि, जन्माष्टमी, रामनवमी आदि त्योहार भी बड़े स्तर पर मनाया जाता है।

यहां रामेश्वर बापू की है समाधि

गुफा के नजदीक ही रामेश्वर बापू की समाधि भी है। गुफा (Jamvant Cave in Porbandar) का दर्शन करने आने वाले भक्त समाधि का भी दर्शन करते है। गौरतलब है कि मानसिक रोग से पीड़ित लोगों के लिए यहा मन्नत मानी जाती है और मन्नत पूरी होने पर रामेश्वर बापू को घड़ी चढाई जाती है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुगण का कहना है कि बापू के चमत्कार अनेक है। उनका मानना है कि बापू ने निःशंतानो को संतान दिए तो वहीँ ना जानें कितनो के घर बना दिए।

Jamvant Cave in Porbandarगुफा का विज्ञान से भी गहरा सम्बन्घ

इस गुफा के साथ जुडा पुराण कालीन प्रसंग तो रोचक है ही, पर साथ ही इस गुफा का जटिल गहरा विज्ञान भी लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। लोगों के मन में यह सवाल आते हैं कि गुफा में जो छोटी-छोटी जलधारी जैसी संरचनाएं बनी हैं, वह कैसे बनी है? उसमें पानी कैसे और कहां से आता है? इन सवालों का जवाब अब तक नहीं मिल पाया है। आपको गुफा (Jamvant Cave in Porbandar) की छत से पानी टपकता दीखता है लेकिन गुफा के बाहर जमीन पूरी सुखी हुई है। लोगों के मन में यह भी सवाल आते हैं कि गुफा के अंदर जो शिवलिंग हैं उनकी रचना कैसे हुई। इतना ही नहीं गुफा की मिट्टी सोने जैसी चमकती है। इसी मिट्टी को अगर सूर्यप्रकाश में देखेंगे तो मिट्टी सामान्य ही दिखेगी। सवाल ये है कि मिट्टी में चमक कहां से आती है? यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि गुफा में मणि का प्रभाव है जिससे मिट्टी में चमक दिखती है।

आपको बता दें कि सिर्फ, धार्मिक या पौराणिक ही नही यहाँ भौगोलिक विशेषताओं के कारण भी लोग खींचे चले आते है। बीते कुछ वर्षों में इस स्थान का पर्यटन स्थल की तरह विकास भी हुआ है। अंधेरी गुफा में अब लाइट लग गइ है। यहां पहुंचने के लिए सड़कें बन गयी हैं। इन सब कारणों से इस गुफा के दर्शन के लिए आने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ रही है।

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