Kajari Teej 2024: इस साल कब पड़ रही है कजरी तीज? जानें तिथि और इस त्योहार का महत्व
Kajari Teej 2024: कजरी तीज, जिसे कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार तीज त्रयी का हिस्सा है, जिसमें हरियाली तीज और हरतालिका तीज भी शामिल हैं। कजरी तीज (Kajari Teej 2024) हिंदू माह भाद्रपद के कृष्ण पक्ष तृतीया के दौरान मनाया जाता है। इस वर्ष कजरी तीज गुरुवार 22 अगस्त को मनाई जाएगी। आमतौर पर कजरी तीज रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आती है।
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज (Kajari Teej 2024) विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह त्योहार देवी पार्वती को समर्पित है और भगवान शिव के साथ उनके मिलन का साक्षी है। ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव का स्नेह जीतने के लिए कठोर तपस्या की थी, जो भक्ति की शक्ति और वैवाहिक निष्ठा का प्रतीक है। यह त्योहार दिव्य जोड़े के बीच दिव्य प्रेम और भक्ति का है।
कजरी तीज के मुख्य पहलू
विवाहित महिलाएं (Kajari Teej 2024) अपने पतियों की सलामती और लंबी उम्र की प्रार्थना के लिए यह त्योहार मनाती हैं। कजरी तीज के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान वैवाहिक बंधन को मजबूत करने और एक सामंजस्यपूर्ण वैवाहिक जीवन के लिए हैं। अविवाहित लड़कियां भी उत्सव में भाग लेती हैं और भविष्य में अच्छे वर और आनंदमय वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करती हैं।
कजरी तीज मानसून के मौसम के दौरान मनाया जाता है, वह समय जब बारिश से सूखी भूमि फिर से जीवंत हो जाती है। यह त्योहार जीवन और प्रकृति के नवीनीकरण का प्रतीक है, जिसमें मानसून की बारिश से आई हरियाली समृद्धि और उर्वरता का प्रतिनिधित्व करती है। 'कजरी' नाम ही इस मौसम के दौरान हरे-भरे खेतों और जंगलों से लिया गया है।
कजरी तीज की रस्में, प्रथाएं और परंपराएं
उपवास- कजरी तीज पर महिलाएं व्रत रखती हैं। कुछ महिलाएं तो निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत देवी पार्वती को समर्पित है और इसे बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत आशीर्वाद लाता है और उनके पतियों की दीर्घायु और समृद्धि सुनिश्चित करता है।
झूला झूलने की रस्में- कजरी तीज की प्रमुख विशेषता झूले हैं। महिलाएं फूलों से झूला सजाती हैं और पारंपरिक तीज के गीत गाते हुए झूलने का आनंद लेती हैं। यह गतिविधि न केवल आनंददायक है बल्कि मानसून के मौसम के सुखद आगमन का भी प्रतीक है।
विशेष पूजा- कजरी तीज पर देवी पार्वती के सम्मान में विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं देवी की मूर्तियां या चित्र बनाती हैं और अनुष्ठान और प्रार्थना करती हैं। वे उनका आशीर्वाद पाने के लिए फल, फूल, मिठाइयां और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं।
गायन और नृत्य- लोक गीत और नृत्य, कजरी तीज उत्सव का एक अभिन्न अंग हैं। महिलाएं समूहों में इकट्ठा होती हैं और कजरी गीत गाती हैं, जो पारंपरिक मानसून की धुनें हैं। ये गीत प्रकृति की सुंदरता, बरसात के मौसम की खुशी और त्योहार के सार को दर्शाते हैं।
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