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Kalpvas 2025: माघ पूर्णिमा स्नान के साथ कल्पवास हुआ पूरा, 10 लाख कल्पवासी लौटे घर

इससे पहले बुधवार को माघ पूर्णिमा के दिन सभी कल्पवासियों ने विधि पूर्वक पवित्र संगम में स्नान कर कल्पवास का पारण किया।
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Kalpvas 2025

Kalpvas 2025: बुधवार को माघ पूर्णिमा स्नान के साथ है एक महीने से संगम तट पर कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं का कल्पवास पूरा हो गया। बता दें कि स्नान के बाद 30 दिन से संगम तट पर तपस्या कर रहे 10 लाख कल्पवासी (Kalpvas 2025) अपने-अपने घरों की और लौट रहे हैं। कुछ कल्पवासी आज त्रिजटा स्नान के बाद घर लौटेंगे।

इससे पहले बुधवार को माघ पूर्णिमा के दिन सभी कल्पवासियों ने विधि पूर्वक पवित्र संगम में स्नान कर कल्पवास का पारण किया। पूजन और दान के बाद कल्पवासी (Kalpvas 2025) अपने अस्थाई आवास त्याग कर दोबारा अपने घरों की ओर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। प्रयागराज को 12 फरवरी तक नो व्हीकल जोन घोषित किया गया था, इसलिए कल्पवासी 12 फरवरी को संगम क्षेत्र से अपने घर नहीं लौट पाए। कल्पवासियों का आज सुबह से ही अपने घरों की ओर लौटना प्रारंभ हो चुका है।

Kalpvas 2025: माघ पूर्णिमा स्नान के साथ कल्पवास हुआ पूरा, 10 लाख कल्पवासी लौटे घर

कल्पवासियों ने स्नान के बाद किया पूजन और हवन

शास्त्रों के अनुसार, कल्पवासी माघ पूर्णिमा (Magh Purnima Snan) के दिन संगम स्नान कर व्रत रखते हैं। इसी क्रम में संगम में स्नान के बाद कल्पवासियों ने अपने कुटीर में सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ सुना और हवन पूजन आदि किया। इसके बाद सभी कल्पवासियों ने अपने पुरोहितों को यथाशक्ति दान किया और भोजन कराया। कल्पवासी, कल्पवास शुरू होने पर अपने कुटीर में जौ और तुलसी का पौधा रोपते हैं। माघ पूर्णिमा के स्नान के बाद कल्पवासी इस जौ को संगम में विसर्जित कर देते हैं और तुलसी जी के पौधे को अपने साथ घर ले कर जाते हैं। बता दें कि तुलसी के पौधे को सनातन परंपरा में मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है।

क्यों करते हैं लोग कल्पवास?

कल्पवास (Why People Observe Kalpvas) एक पवित्र आध्यात्मिक अभ्यास है जो माघ महीने के दौरान प्रयागराज में पवित्र संगम के तट पर किया जाता है। यह हर वर्ष माघ महीने में किया जाता है। इस एक महीने के दौरान कल्पवासी नदी के किनारे सरल, अनुशासित जीवन जीते हैं और तपस्या, ध्यान, उपवास और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। कल्पवास का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करना, पिछले पापों के लिए क्षमा मांगना और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना है। ऐसा माना जाता है कि पूरे एक महीने तक कल्पवास करने से दिव्य आशीर्वाद, शांति और मोक्ष मिलता है। प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा आत्म-अनुशासन और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

Kalpvas 2025: माघ पूर्णिमा स्नान के साथ कल्पवास हुआ पूरा, 10 लाख कल्पवासी लौटे घर

प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवास का महत्व

प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवास का महत्व (Significance of Kalpvas in Prayagraj) इसके गहरे आध्यात्मिक और धार्मिक मूल्य में निहित है। त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का मिलन होता है, हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है। माघ मेले या कुंभ मेले के दौरान, हजारों कल्पवासी एक महीने की तपस्या करते हैं, नदी के किनारे रहते हैं, ध्यान, उपवास और तपस्या करते हैं। ऐसा माना जाता है कि संगम में पवित्र स्नान करने और यहां अनुष्ठान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। संगम पर कल्पवास सांसारिक इच्छाओं से वैराग्य, आध्यात्मिक जागृति और शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है।

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