Narwa Aai Mata Temple Gosha: नरवा आई माता देती हैं सुरक्षा का अभय वचन, लोग चढ़ाते हैं मीठे भात का नैवेद्य
Narwa Aai Mata Temple Gosha: सौराष्ट्र में अनेक देवी देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां भक्तों का तांता लगा रहता है। इन्ही मंदिरो में से एक है नरवा आई मां का धाम (Narwa Aai Mata Temple Gosha)। पोरबंदर-माधवपुर रोड पर गोसा गांव में स्थित नरवा आई माता का मंदिर लगभग 700 साल पुराना माना जाता है। नरवा आई माता का यह मंदिर भक्तों के लिए 24 घंटे खुला रहता है। यहा दिन रात भक्तो का आना जाना लगा रहता है।
क्या है मंदिर की विशेषता
इस मंदिर (Narwa Aai Mata Temple Gosha) की विशेषता है की इस रास्ते से गुजरने वाले सारे लोग मां के सामने माथा टेकने के बाद ही आगे बढ़ते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि मां के आशीर्वाद से रास्ते में उन्हे किसी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ेगा और उनका सफर आराम से पूरा हो जाएगा।
मंदिर के पुजारी कानगीरी बापू बताते हैं ''पोरबंदर से 25 किलोमीटर आगे गोसा गांव के पास माता जी का मंदिर है। माता जी स्वयं-भू यहां प्रकट हुई हैं। यह मंदिर 500 साल पुराना है। आने जाने वाले सारे लोग यहां श्रीफल चढ़ा कर, धूप-अगरबत्ती दिखा कर ही आगे जाते हैं। हम चार पीढ़ी से यहीं हैं। हमारी माता जी पर बड़ी आस्था है।''
मंदिर है सांप्रदायिक सौहार्द का उदाहरण
मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों के बीच कोई भेदभाव नहीं होता है। नरवा आई माता (Narwa Aai Mata Temple Gosha) का यह धाम सांप्रदायिक सौहार्द का शानदार उदहारण है। वैसे तो माताजी का मूल प्राग्ट्य स्थान बावळा माना जाता है। नरा चारण होने की वजह से माता जी को नरवा आई माता कहा गया। पहले यहां सिर्फ एक छोटा सा मंदिर था। भक्तों की आस्था बढ़ने के साथ-साथ करीब छह दशक पहले मंदिर का जीर्णोंद्धार हुआ।
मां को मीठे भात का नैवेद्य किया जाता है अर्पण
मां नरवा आई (Narwa Aai Mata Temple Gosha) के धाम में वैशाख महीने का बड़ा महत्त्व है। वैशाख माह में माता जी का मेला लगता है, जिसमें आस-पास के गांव से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। नरवा आई माता का पूर्णिमा के दिन दर्शन करने के लिए भी भक्तों का सैलाब उमड़ता है। मंदिर में नवरात्रि भी धूमधाम से मनाई जाती है। दशहरे पर हवन का भी आयोजन किया जाता है। माता जी को मीठे भात का नैवेद्य अर्पण किया जाता है।
नरवा आई माता को खोडियार माता का रूप माना जाता है। इस मंदिर में माता के अनेक रूप हैं। बुजुर्गों का कहना है कि माता की सारी मूर्तियां स्वयंभू प्रकट हुई हैं। हर साल माता जी को 20 किलो से ज्यादा के सिंदूर का चढ़ावा चढ़ता है। साल 2001 में मंदिर में माता जी की एक सुंदर प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई। जो कि खड़ी मुद्रा में है। मां के मंदिर में महादेव भी विराजमान हैं। मंदिर परिसर में भूतेश्वर महादेव स्थापित हैं। साथ ही मामा देव की भी यहां स्थापना की गई है। भक्तगणों का मानना है कि यहां मां आपकी सारी मनोकामनाएं सुनती हैं और उसे पूरा भी करती हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां सुरक्षा का अभय वचन देती हैं। भक्तों को नरवा आई माता के कितने ही चमत्कारों का अनुभव हुआ है।
यहां पर दर्शन को आए एक श्रद्धालु अश्विनपुरी गोस्वामी बताते हैं ''माता जी के चमत्कार तो बहुत हैं। इसका इतिहास भी है। साल 1983 में यहां काफी पानी भर गया था। पुजारी के बच्चों समेत सभी लोग दूसरी मंजिल पर चढ़ गए थे। समंदर और पानी साथ हो गया था। माता जी ने चमत्कार दिखाया। हमारे साथ 20-25 लोग थे। उनकी बकरी डूब गई थीं। बाद में 4 बकरी और कुत्ता सकुशल मिला। ये माताजी का चमत्कार था।''
मंदिर परिसर में धर्मशाला भी है, जहां भक्तों के रहने और खाने की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। धर्मशाला में 150 से 200 लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है। इस पवित्र स्थान पर आने वाले भक्त सुरक्षा का अनुभव करते हैं। इसी सोच के साथ कि जिसके सिर पर माता का हाथ होता है उसका दुनिया क्या बिगाड़ेगी?
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