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Raghunath Mandir Bagad Rajasthan: यहां एक ही मूर्ति में है राम-कृष्ण का दिव्य स्वरूप, इनके दर्शनों से होती है हर इच्छा पूरी

Raghunath Mandir Bagad Rajasthan: राजस्थान के दक्षिणांचल के उदयपुर संभाग में एक ऐसा मंदिर है जहां एक ही मूर्ति में राम और कृष्ण दोनों का दिव्य स्वरुप दिखता है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं वागड़ के रघुनाथ मंदिर...
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Image Credit: Rajasthan First

Raghunath Mandir Bagad Rajasthan: राजस्थान के दक्षिणांचल के उदयपुर संभाग में एक ऐसा मंदिर है जहां एक ही मूर्ति में राम और कृष्ण दोनों का दिव्य स्वरुप दिखता है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं वागड़ के रघुनाथ मंदिर (Raghunath Mandir Bagad Rajasthan) की। यह मंदिर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों की सीमाओं पर माही नदी के निकट स्थित भीलूड़ा गांव में है। एक हज़ार वर्ष से भी प्राचीन रघुनाथ मन्दिर में स्थापित काले रंग की मूर्ति में भगवान राम और कृष्ण की छवि के एक साथ दर्शन होते हैं। बता दें कि वागड़ को छोटी अयोध्या भी कहा जाता है।

अयोध्या में स्थापित होने के लिए बनी थी प्रतिमा

रघुनाथ मन्दिर डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा उपखण्ड से आठ किलोमीटर दूर बांसवाड़ा मार्ग पर माही नदी के मुहाने पर स्थित है। जानकारी के अनुसार, आज जो प्रतिमा इस मंदिर (Raghunath Mandir Bagad Rajasthan) में स्थापित है कभी वह अयोध्या के लिए बनाई गयी थी। लगभग एक शताब्दी पहले डूंगरपुर के तत्कालीन राजा महारावल विजय सिंह ने अयोध्या में स्थापित करने के लिए इस प्रतिमा का निर्माण करवाया था।

माना जाता है कि इस प्रतिमा को अयोध्या ले जाते समय लोग रात में भीलूड़ा गांव में रूक गए। सुबह जब वो आगे बढ़ने की तयारी करने लगे तो उनकी बैलगाड़ी अपने स्थान से हिली ही नहीं। बताते है कि उसी रात सपने में महारावल विजय सिंह को भगवान ने आदेश दिया कि मूर्ति जहां पर है वहीँ स्थापित कर दिया जाए। इसके बाद महारावल के निर्देश पर प्रतिमा को भीलूड़ा गांव के रघुनाथ मंदिर में प्रतिष्ठित कर दिया गया।

मूर्ति को अंधे व्यक्ति ने था बनाया

स्थानीय लोग बताते हैं कि इस दिव्य प्रतिमा का निर्माण डूंगरपुर के एक अंधे शिल्पकार ने किया था। यह प्रतिमा उत्कृष्ट वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। अपनी स्थापत्य सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाने वाला यह मंदिर ना सिर्फ राजस्थान से बल्कि गुजरात और मध्य प्रदेश से भक्तों को आकर्षित करता है। यह मंदिर राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। मंदिर विभिन्न धार्मिक गतिविधियों और त्योहारों का केंद्र है, विशेष रूप से राम नवमी के दौरान, जब यहां तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या देखी जाती है। इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रासंगिकता इसे डूंगरपुर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनाती है।

एक ही पत्थर से निर्मित है प्रतिमा

जानकारी के अनुसार, रघुनाथ मन्दिर में प्रतिष्ठित यह प्रतिमा एक ही पत्थर से बानी हुई है। मूर्ति के श्री राम प्रतिमा के हाथ में तीर व धनुष है। वहीं प्रतिमा के दाये पैर का अंगूठा खंडित है जो कि भगवान कृष्ण की झलक दिखाता है। बता दें कि आपको भारत में हर जगह अधिकतर भगवान राम की प्रतिमा सफ़ेद पत्थरों की बानी हुई मिलती है। लेकिन यहां पर एक ही प्रतिमा में राम और कृष्ण दोनों का स्वरुप होने के कारण यह प्रतिमा श्याम वर्ण की है। आपको बता दें कि बीते जनवरी में अयोध्या में स्थापित श्री रमा की प्रतिमा भी एक श्याम वर्ण के पत्थर से बनाया गया है।

कैसा है यह मंदिर

आपको बता दें कि रघुनाथ जी के मंदिर के गर्भगृह के प्रवेश द्वार में चांदी जड़ित फाटक लगे हुए हैं। इन फाटकों पर सम्पूर्ण रामायण चित्रित है। यहां की नक्काशी देखने लायक होती है। फाटक पर राम दरबार, भगवान रामकी शिशु लीलाएं, ताड़का वध, सीता स्वयंवर, राम-विवाह, पंचवटी-सीताहरण, बाली सुग्रीवयुद्ध, हनुमान लंकागमन, अशोक वाटिका मे सीता, सेतु बांधना, लंका दहन, रावण की सभा में अंगद तथा राम-रावण युद्ध के दृश्यों को बहुत ही खूबसूरती के साथ उत्कीर्ण किया हुआ है। इसके अलावा रघुनाथ जी मंदिर के प्रवेश द्वार के पास भगवान गणेश और हनुमान के देवालय है। वहीं परिसर में भगवान शिव का देवालय भी है।

त्योहारों पर उमड़ती है यहां भारी भीड़

रघुनाथ मंदिर विभिन्न धार्मिक त्योहारों का एक प्रमुख केंद्र है, जिसमें राम नवमी सबसे महत्वपूर्ण है। भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले राम नवमी में भक्तों की एक बड़ी भीड़ देखी जाती है जो विशेष प्रार्थनाओं, भजनों और जुलूसों में भाग लेने के लिए इकट्ठा होते हैं। इस अवसर पर मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है और रामायण का पाठ, विशेष आरती और भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर यहां एक जीवंत और आध्यात्मिक वातावरण बनता है।

राम नवमी के अलावा, रघुनाथ मंदिर में उत्साह के साथ मनाए जाने वाले अन्य त्योहारों में जन्माष्ठमी भी है। चूंकि मूर्ति में राम और कृष्ण दोनों का स्वरुप है इसलिए यहां भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिर को दीयों और मोमबत्तियों से रोशन किया जाता है।

रंगों का त्योहार होली भी मनाया जाता है, जिसमें भक्त रंगों और पानी से खेलते हैं, जो त्योहार की खुशी का प्रतीक है। रघुनाथ मंदिर का प्रत्येक त्यौहार न केवल राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है, बल्कि भक्तों के के बीच समुदाय और भक्ति की भावना को भी बढ़ावा देता है।

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