Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि आज से प्रारम्भ, इस वर्ष नाव पर आ रही हैं दुर्गा मां
Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो शरद ऋतु के दौरान नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह देवी दुर्गा और उनके नौ दिव्य रूपों का सम्मान करता है, जिनमें से प्रत्येक की पूजा एक विशिष्ट दिन पर की जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि देवी दुर्गा ने एक भयंकर युद्ध के बाद राक्षस महिषासुर को हराया था। इन नौ दिनों (Shardiya Navratri 2024) के दौरान, भक्त शक्ति, ज्ञान और समृद्धि के लिए देवी का आशीर्वाद लेने के लिए उपवास, प्रार्थना और आध्यात्मिक अभ्यास करते हैं। यह त्योहार दशहरा के दिन समाप्त होता है, जिसमें भगवान राम की रावण पर जीत का जश्न मनाया जाता है।
आज से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ‘ट्रस्ट’ के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। इस वर्ष गुरुवार को प्रतिपदा तिथि रात्रि 01:08 तक है। वहीं आज हस्त नक्षत्र दिवा 03:17 तक रहेगा। उसके पश्चात् चित्रा नक्षत्र रहेगा।
इस वर्ष नाव पर आएंगी दुर्गा मां
'मूलेन आवाहयेत देवि' के अनुसार इस वर्ष मां का आगमन नाव पर हो रहा है जो शुभ है। इस वर्ष नवरात्रि पूरे नौ दिनों का है। गुरुवार 3 अक्टूबर से प्रारम्भ होकर शुक्रवार 11 अक्टूबर को पूर्णाहुति होगी।
कलश स्थापन मुहूर्त- प्रातः 06:00 बजे से लेकर दिवा 03:17 तक कभी भी किया जा सकता है।
विशेष अभिजीत मुहूर्त- 11:36से 12:24 तक।
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय
यह नवरात्रि जगत के लिए कल्याणकारी
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस नवरात्रि का आरम्भ मिथुन लग्न में हुआ है, जिसका स्वामी बुध चतुर्थ भाव में अपने ही राशि कन्या का और सूर्य, चन्द्रमा केतु के साथ विराजमान है जो शुभ फल प्रदान करेगा। किसानों के लिए यह वर्ष सामान्य होगा। धन धान्य की उत्पत्ति होगी। व्यापारी वर्ग व सम्पूर्ण जनमानस के लिए यह योग उत्तम है। सभी वर्ग के लोगों को चाहिए की इस शारदीय नवरात्रि में मां भगवती का ध्यान कर ‘जयन्ती मंगला काली भद्र काली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते’ का जप करें। जिससे सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण हो। कलश स्थापना के पश्चात् मां भगवती दुर्गा जी का पञ्चोपचार या षोडशोपचार पूजन कर दुर्गा सप्तशती पाठ, नवार्ण मन्त्र का जप निष्ठा पूर्वक करना चाहिए। प्रत्येक सनातन धर्मियों को चाहिए कि मन, वचन व कर्म से पवित्र रहते हुये मां भगवती की उपासना करें।
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