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Siddhnath Mahadev Thakarda: यहां स्थापित है रूद्राक्ष शिवलिंग, कभी नहीं सूखता है शिवालय के कुंड का पानी

Siddhnath Mahadev Thakarda: राजस्थान के डूंगरपुर जिले सागवाड़ा उपखण्ड से करीब तेरह किमी दूर ठाकरड़ा गांव में प्राचीन सिद्धनाथ महादेव का मंदिर (Siddhnath Mahadev Thakarda) है। यह मंदिर यहां बहने वाली गोमती नदी के तट पर स्थित है। यहां के...
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Siddhnath Mahadev Thakarda: राजस्थान के डूंगरपुर जिले सागवाड़ा उपखण्ड से करीब तेरह किमी दूर ठाकरड़ा गांव में प्राचीन सिद्धनाथ महादेव का मंदिर (Siddhnath Mahadev Thakarda) है। यह मंदिर यहां बहने वाली गोमती नदी के तट पर स्थित है। यहां के लोगों का मानना है कि नेपाल के पशुपतिनाथ के बाद रूद्राक्ष का यह दूसरा स्वयंभू शिवलिंग हैं। इस मंदिर के प्रति लोगों की बहुत आस्था है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।

किसने कराया था मंदिर का निर्माण

सिद्धनाथ महादेव मंदिर (Siddhnath Mahadev Thakarda) का निर्माण राजा गोहिल के पुत्र प्रताप सिंह के वंसज महारावल गोपीनाथ के शासन काल में कराया गया था। यह मंदिर 580 वर्ष पुराना है। मंदिर के निर्माण में नागर जाति के ब्राह्मण का बड़ा योगदान रहा। मंदिर में एक विशाल स्वंयभू शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग रुद्राक्ष जैसा प्रतीत होता है। शिवलिंग सहित ब्रह्मजी, रिद्धि-सिद्धि गणेश, शंकर पार्वती, दो नंदी प्रतिमाओं की राखी गयी है। यहां पर मां पार्वती की चार कलात्मक प्रतिमाएं भी हैं। पास के देवालय में भगवान लक्ष्मीनारायण की विशाल प्रतिमा है। शिवालय के पास एक कुंड है जिसमे 12 महीने पानी भरा रहता है।

क्या है मंदिर से जुडी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, मुग़ल सम्राटों के आक्रमण के समय काशी में एक मंदिर से शिवलिंग गायब हो गया और जलधारी वहीँ रह गया। लोग बताते हैं कि ठाकरडा गांव के पश्चिमी छोर पर एक टेकरी पर एक गाय द्वारा अपने दूध का अभिषेक कर दिया जाता था। लेकिन वहां शिवलिंग की जलाधारी नहीं थी। किवदंती है कि गांव के ब्राह्मण को भगवान शिव ने स्वप्न में गोमती के तट पर प्रकट होने की जानकारी दी और कहा कि जलाधारी काशी से ले आओ। स्वप्न में भगवान शिव ने ब्राह्मण को पतली लकड़ी के बीच डालकर जलाधारी लाने को कहा। उसके बाद भट्ट परिवार जलाधारी लेने काशी पहुंचा। ब्राह्मण और उसके सहयोगी जलाधारी को लकड़ी में पीरों कर कंधे पर उठा कर लाए जो यहां स्थापित है।

2013 में शुरू हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार

बता दें कि वर्ष 2013 में मंदिर का जिर्णोद्धार कार्य शुरु किया गया। भक्तों के सानिध्य में शिल्पी हरीश सोमपुरा के मार्गदर्शन में जीर्णोद्धार का कार्य सम्पन हुआ है। जीर्णोद्धार के बाद मंदिर के शिखर की प्रतिष्ठा की गयी। सिद्धनाथ महादेव मंदिर की कीर्ति बढ़ने से आस-पास के जिलों के अलावा देश के कोने-कोने से यहां लोग शिव का दर्शन करने आने लगे।

शिवरात्रि और दिवाली पर उमड़ती है यहां भारी भीड़

इस मंदिर में सोमवार, एकादशी, पूर्णिमा और श्रावण मास में दर्शनार्थियों का तांता लग जाता है। इसके अलावा हर साल शिवरात्रि और दिवाली के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। भगवान शिव को समर्पित सिद्धनाथ महादेव ठाकरदा मंदिर साल भर जीवंत त्योहारों का आयोजन करता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। प्रमुख उत्सवों में महा शिवरात्रि शामिल है, जिसमें पूरी रात जागरण, विशेष प्रार्थनाएं और शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य का सम्मान करने वाले अनुष्ठान शामिल हैं। श्रावण माह के दौरान, विशेष रूप से सोमवार को, भक्त यहां जरूर आते हैं। यहां प्रदोष व्रत भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें शाम की पूजा और प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिर का वार्षिक मेला एक और आकर्षण है, जिसमें सांस्कृतिक प्रदर्शन, भक्ति संगीत और सामुदायिक दावतें शामिल होती हैं, जो प्रतिभागियों के बीच एकता और आध्यात्मिक संवर्धन की भावना को बढ़ावा देती हैं।

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