Somvati Amavasya: आज मनाई जा रही है सोमवती अमावस्या, यह है आध्यात्मिक शांति और भक्ति का दिन
Somvati Amavasya: सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। अमावस्या और सोमवार का यह दुर्लभ संयोग इसके महत्व को बढ़ाता है क्योंकि दोनों को पवित्र माना जाता है। भगवान शिव और पीपल के पेड़ को समर्पित, यह शुभ दिन (Somvati Amavasya) समृद्धि, कल्याण और आध्यात्मिक विकास के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए उपवास, प्रार्थना और विभिन्न अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है।
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya Kaise Manayen)एक ऐसा दिन है जो भक्ति, आत्म-अनुशासन और प्रकृति पूजा का मिश्रण है। इसके अनुष्ठानों का ईमानदारी से पालन करके, भक्तों का लक्ष्य अपने मन को शुद्ध करना, पारिवारिक बंधनों को मजबूत करना और अपनी आध्यात्मिक यात्राओं पर प्रगति करना है। यह परमात्मा, प्रकृति और मानव अस्तित्व के अंतर्संबंध की याद दिलाता है।
आज है 2024 की अंतिम सोमवती अमावस्या
साल 2024 की अंतिम सोमवती अमावस्या , जिसे पौष अमावस्या (Somvati Amavasya Ka Vrat) भी कहते हैं, आज 30 दिसंबर, दिन सोमवार को मनाया जा रहा है।
सोमवती अमावस्या प्रारम्भ - 05:31, दिसम्बर 30
सोमवती अमावस्या समाप्त - 05:26, दिसम्बर 31
सोमवती अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
अमावस्या, चंद्र चक्र का अंधकारमय चरण, नई शुरुआत और आध्यात्मिक सफाई का प्रतीक होता है। जब यह सोमवार (Somvati Amavasya Significance) के साथ मेल खाता है, जो भगवान शिव का पवित्र दिन है, तो यह दिन विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और इच्छाओं को पूरा करने के लिए शक्तिशाली माना जाता है। यह पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने (पितृ तर्पण) और पारिवारिक सद्भाव के लिए उनका आशीर्वाद मांगने से भी जुड़ा है।
सोमवती अमावस्या के अनुष्ठान
सोमवती अमावस्या पर, श्रद्धालु अत्यंत भक्ति के साथ विभिन्न अनुष्ठान करते हैं:
व्रत: इस दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएं विशेष रूप से अपने पति की लंबी उम्र और अपने परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना करने के लिए व्रत रखती हैं।
पीपल वृक्ष की पूजा: पीपल के वृक्ष को जल, दूध और धूप अर्पित करते हुए 108 बार परिक्रमा की जाती है। पेड़ को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का दिव्य प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा से स्वास्थ्य, धन और खुशी का आशीर्वाद मिलता है।
पवित्र स्नान: माना जाता है कि गंगा या यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पूर्वजों की पूजा: श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठान करने से दिवंगत पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और किसी भी पारिवारिक बाधा को दूर किया जाता है।
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की भक्ति
भक्त "ओम नमः शिवाय" का जाप करते हुए दूध, बिल्व पत्र और फल चढ़ाने के लिए शिव मंदिरों में जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन (Somvati Amavasya) भगवान शिव की पूजा से नकारात्मकता से सुरक्षा मिलती है और आध्यात्मिक विकास होता है।
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