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Jaisalmer: जैसलमेर की तनोट माता...देश का इकलौता मंदिर जहां BSF करती पूजा, 1971 में हुए चमत्कार के आज भी हैं प्रमाण

Tanot Mata Temple Jaisalmer: जैसलमेर। देवी मां की आराधना का पर्व नवरात्रि शुरू हो चुका है। नवरात्रि स्थापना के दिन जैसलमेर के तनोट माता मंदिर(Tanot Mata Temple Jaisalmer) पर भी विशेष पूजा-अर्चना की गई। जैसलमेर का तनोटराय देवी माता मंदिर...
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Tanot Mata Temple Jaisalmer: जैसलमेर। देवी मां की आराधना का पर्व नवरात्रि शुरू हो चुका है। नवरात्रि स्थापना के दिन जैसलमेर के तनोट माता मंदिर(Tanot Mata Temple Jaisalmer) पर भी विशेष पूजा-अर्चना की गई। जैसलमेर का तनोटराय देवी माता मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां की पूजा- सेवा की जिम्मेदारी भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) के पास है। यह परंपरा 1971 में हुए भारत- पाकिस्तान युद्ध के बाद शुरू हुई। जो आज भी कायम है। इस युद्ध के दौरान देवी मां ने कुछ ऐसा चमत्कार दिखाया था, जिसके प्रमाण आज भी मंदिर में मौजूद हैं।

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद से BSF कर रही पूजा

तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर भारत-पाक सीमा के पास बना हुआ है। साल 1971 में भारत का पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ था। उस वक्त पाकिस्तान ने काफी बम इस क्षेत्र में गिराए थे। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि युद्ध के दौरान तनोट माता मंदिर में भी कई बम गिरे थे। मगर इस क्षेत्र में गिरने वाला एक भी बम फटा नहीं। जिसे लोग देवी का चमत्कार मानते हैं और तब से लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था और बढ़ गई। कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि युद्ध के दौरान खुद देवी मां ने सैनिकों के सपने में आकर रक्षा करने की बात कही थी। अब BSF ही इस मंदिर में पूजा- अर्चना की जिम्मेदारी संभालती है।

मंदिर में आज भी मौजूद देवी मां के चमत्कार के प्रमाण !

जैसलमेर के तनोट राय माता मंदिर क्षेत्र में 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने 3 हजार से ज्यादा बम गिराए थे। मगर इनमें से कोई भी बम नहीं फटा। यह बम आज भी तनोट माता मंदिर परिसर में रखे हुए हैं। जिन्हें स्थानीय लोग 55 साल पहले हुए देवी मां के चमत्कार का प्रमाण बताते हैं। दरअसल, तनोट माता मंदिर का निर्माण संवत 887 (ई.830) में होना बताया जाता है। तनोट के बाद भाटी वंश के राव जैसल ने 1256 में जैसलमेर की स्थापना की। जिसके बाद जैसलमेर ही उनकी राजधानी रहा।

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