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Tripura Sundari Temple: दिन में तीन बार बदलता है बागड़ की अधिष्ठात्री देवी का स्वरुप, PM-CM तक लगा चुके हैं धोक

Tripura Sundari Temple: Banswara-भक्त अपने आराध्य के सामने शीश नवाते हैं और भगवान अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। देश भर में कई ऐसे मंदिर हैं जहां लोग अलग-अलग मनोकामना (Tripura Sundari Temple) मांगते हैं लेकिन राजस्थान के...
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(Image Credit: Rajasthan First)

Tripura Sundari Temple: Banswara-भक्त अपने आराध्य के सामने शीश नवाते हैं और भगवान अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। देश भर में कई ऐसे मंदिर हैं जहां लोग अलग-अलग मनोकामना (Tripura Sundari Temple) मांगते हैं लेकिन राजस्थान के दक्षिण अंचल मे बांसवाड़ा जिले में देवी का एक ऐसा मंदिर है जो सत्ता सुख प्रदान करती हैं। प्रधानमंत्री, उप राष्ट्रपति से लेकर कांग्रेस और भाजपा के कई मुख्यमंत्री मातारानी के दर पर मत्था टेक चुके हैं और अपनी राजनीतिक मनोकामना पूर्ण होने पर यज्ञादि करा चुके हैं। यह मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है।

कहां पर स्थित है यह मंदिर

बांसवाड़ा से लगभग 14 किलोमीटर और तलवाड़ा गांव से मात्र 5 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखला की घनी हरियाली के बीच छोटे से गांव उमराई में मां त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari Temple) माताबाड़ी में स्थित हैं। यहां नवरात्रि में बड़ी संख्या में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं। वहीं कई विशिष्ट और अतिविशिष्ट जनों की भी इस मंदिर से अगाध आस्था जुड़ी हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित विभिन्न प्रांतों के राजनीतिज्ञ मां त्रिपुरा सुंदरी के आगे अपनी कामनाओं की झोली फैलाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पहले बांसवाड़ा शहर पंहुचना होगा। मंदिर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है, और आप मंदिर परिसर तक पहुंचने के लिए या तो सीढ़ियाँ चढ़ सकते हैं या वाहन ले सकते हैं। बांसवाड़ा राजस्थान के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन रतलाम जंक्शन है, जो लगभग 80 किलोमीटर दूर है, और निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर में महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है, जो लगभग 160 किलोमीटर दूर है।

यह है मंदिर का इतिहास

त्रिपुर सुंदरी मंदिर (Tripura Sundari Temple) का निर्माण कब हुआ इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालांकि मंदिर क्षेत्र में एक शिलालेख मिला है। शिलालेख के अनुसार, अनुमान है कि यह मंदिर सम्राट कनिष्क के काल से पूर्व का है। शिलालेख में त्रिउरारी शब्द का उल्लेख है। कहा जाता है कि यहां आसपास गढ़पोली नामक नगर था। इसमें सीतापुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी नाम से तीन दुर्ग थे। तीन दुर्गों के बीच देवी मां का मंदिर स्थित होने से इसे त्रिपुरा सुंदरी कहा जाने लगा। वहीं इस मंदिर में देवी का नाम त्रिपुरा सुंदरी होने के पीछे यह बताया जाता है कि यहां मां के दर्शन प्रात: में कुमारिका, मध्यान्ह में यौवना तथा संध्या में प्रौढ़ा रूप में होते हैं।

जानें कैसा है इस मंदिर में मां का रूप

गर्भगृह में मां त्रिपुरा सुंदरी की प्रतिमा 18 भुजाओं वाली है। भुजाओं में विविध आयुध, पार्श्व में नवदुर्गाओं की प्रतिकृतियां उत्कीर्ण हैं। मां सिंह, मोर और कमल के आसन पर विराजमान हैं। मुख्य मंदिर के दरवाजे चांदी के बने हैं। चरणों में श्री यंत्र निर्मित है। स्थानीय लोग इसे तरतई माता के नाम भी पुकारते हैं।

राजा सिद्धराज की इष्ट देवी

राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और विभिन्न प्रांतो के श्रद्धालुओं की इस देवी में बड़ी आस्था है। त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari Temple) गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की इष्ट देवी रही। विदेशी आक्रांताओं ने क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट किया। देवी उपासकों ने प्रतिमा की रक्षा की। वर्षों पूर्व चांदा भाई पाता भाई लोहार ने त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के समय और इसके बाद विगत वर्षों में इसका जीर्णोद्धार कराया गया। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में इसका सौन्दर्यीकरण कराया गया।

इन दिग्गजों ने शक्तिपीठ पर टेका मत्था

माता त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari Temple) के दर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव, योग गुरु बाबा रामदेव, प्रकाश जावड़ेकर, हेमा मालिनी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, ओम माथुर, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व राज्यपाल स्व. कल्याण सिंह, पंजाब के राज्यपाल रहे वीपी सिंह, सीपी जोशी, सचिन पायलट, डॉ. सीपी जोशी आदि दिग्गज नेता माता के चरणों में धोक लगा चुके हैं और माता रानी ने उनकी मनोकामना भी पूरी की है।

चुनाव परिणाम से पहले मां की शरण में

मंदिर से जुड़े जागेश पंचाल बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनावों के बाद मतगणना के दिन सुबह ही मंदिर पहुंच जाती हैं। चाहे हार हो या जीत वह मां त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari Temple) का आशीर्वाद लेने के बाद ही यहां से वापस जयपुर के लिए रवाना होती है। नवरात्रि में उनकी ओर से यहां विशेष अनुष्ठान भी कराया जाता है। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कांतिलाल पंचाल बताते हैं कि बांसवाड़ा के निवासी और पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की मां त्रिपुरा सुंदरी में आगाध आस्था रही। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जब भी वे जयपुर से आते, पहले त्रिपुरा सुंदरी मां के दर्शन करते और उसके बाद बांसवाड़ा के लिए प्रस्थान करते थे।

नवरात्रि पर लगता है बड़ा मेला

मंदिर गर्मियों में सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। वहीं सर्दियों में मंदिर प्रातः 5:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे बजे तक खुला रहता है। मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। नवरात्रि यहां का विशेष त्यौहार है। इस दौरान मंदिर परिसर को सजाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन देवी मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि में यहां बड़ा मेला लगता है, जिसमे गरबा, डांडिया समेत कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

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