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Vijva Mata Temple: आरोग्य दाता धाम के रूप में विख्यात मंदिर जहां माता को चढ़ाए जाते हैं लकड़ी के बने अंग

Vijva Mata Temple: Dungarpur- राजस्थान के डूंगरपुर जिले से 55 किलोमीटर दूर आशापुरा क्षेत्र के मोदपुर गांव में स्थित एक ऐसा मंदिर है जो भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर विजवा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है।...
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(Image Credit: Rajasthan First)

Vijva Mata Temple: Dungarpur- राजस्थान के डूंगरपुर जिले से 55 किलोमीटर दूर आशापुरा क्षेत्र के मोदपुर गांव में स्थित एक ऐसा मंदिर है जो भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर विजवा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। विजवा माता (Vijva Mata Temple) को विंध्यवासिनी देवी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के गर्भ में देवी की भव्य मूर्ति स्थापित है। मंदिर को अपंगों की माता के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर देवी विजवा माता को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का ही अवतार माना जाता है।

मंदिर का इतिहास

स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर (Vijva Mata Temple) का इतिहास करीब 800 साल पुराना है। मंदिर में आज भी 13वीं शताब्दी के शिलालेख मौजूद है। हफ्ते के दो दिन रविवार और मंगलवार को माता के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा प्रत्येक पूर्णिमा को भी मंदिर पर भक्तों का तांता लगता है। पूर्णिमा के दिन यहाँ का माहौल अद्भुत होता है। यही नहीं मंदिर (Vijva Mata Temple) में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण है। नवरात्रि के दौरान, दूर-दूर से भक्त विजवा माता की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में इकट्ठा होते हैं। यह त्यौहार धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक प्रदर्शनों और उत्कट भक्ति द्वारा चिह्नित है।

यहाँ आकर विकलांग भी हो जाते हैं ठीक

इस मंदिर (Vijva Mata Temple) की यह भी मान्यता है कि यहां आकर विकलांग भी ठीक हो जाते हैं। पौराणिक मान्यता यह है लकवा व अन्य रोगग्रस्त बीमार व्यक्ति को  माता के दर्शन कराने से हिम्मत मिलती है। दवा और दुआ दोनों के चमत्कार से बीमार मरीज ठीक हो जाता है।

मंदिर में चढ़ाए जाते हैं लकड़ी से बने अंग

एक और कारण से यह मंदिर (Vijva Mata Temple) बाकी मंदिरों से अलग है। जहां देश के बाकी मंदिरों में लोग फल, फूल, नारियल, चुनरी, मिठाई आदि चढ़ाते हैं वहीँ बागड़ के विजवा माता मंदिर में मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु लकड़ी से बने शरीर के अंग चढ़ाते हैं। देवी को चढाने के लिए भक्तों को लकड़ी से बने शरीर के अंग कहीं और से लाना नहीं पड़ता है बल्कि ये सभी वस्तुएं मंदिर के बाहर लगे दुकानों पर ही आसानी से मिल जाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि देवी को लकड़ी के अंग चढाने की परंपरा सालों से चली आ रही है। स्थानीय मान्यता है देवी के मंदिर से मन्नत लेने पर शरीर की अपंगता दूर होती है।

मंदिर कमेटी ने यहां बनवाये हैं धर्मशाला और विश्राम गृह

आपको बता दें कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां 35 साल पहले विजवा माता (Vijva Mata Temple) कमेटी की ओर से कमरे बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं द्वारा इन कमरों को आराम, विश्राम, और ठहरने में उपयोग लिया जाता है। इन विश्राम गृहों में विकलांग मरीज आराम करते हैं और माता का दर्शन करते हैं। लकवाग्रस्त मरीज मनोकामनाएं पूरी होने पर माता को भेंट लकड़ी के बने खिलौने भेंट चढाते हैं।

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