Chinmoy Das Case Hearing: चिन्मय कृष्ण दास की जमानत फिर लटकी, राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार
Chinmoy Das Case Hearing: बांग्लादेश की एक अदालत ने बुधवार को गिरफ्तार हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ाने की अपील खारिज कर दी।
वकील के पास प्राधिकृत वकालतनामा नहीं था
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज सैफुल इस्लाम ने इस आधार पर अपील खारिज कर दी कि दास के वकील के पास उनके प्रतिनिधित्व के लिए प्राधिकृत वकालतनामा नहीं था। एक अदालत अधिकारी ने बताया, “एडवोकेट रवींद्र घोष ने सुनवाई की तारीख को जल्द कराने की अपील की, लेकिन एक अन्य वकील ने जज को बताया कि घोष के पास दास का पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं है। इस पर जज ने याचिका खारिज कर दी।”
चिन्मय दास की याचिका
घोष ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि दास को “झूठे और मनगढ़ंत मामले” में गिरफ्तार किया गया है, जबकि वह मधुमेह, अस्थमा और अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं। हालांकि, वकील ने स्वीकार किया कि उन्होंने जेल जाकर दास से प्राधिकृत वकालतनामा नहीं लिया। उन्होंने कहा, "मैं अब जेल जाकर चिन्मय से वकालतनामा प्राप्त करूंगा।"
सुनवाई जनवरी 2025 तक टली
इससे पहले 3 दिसंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन अदालत ने इसे अभियोजन पक्ष के सुझाव पर 2 जनवरी 2025 तक स्थगित कर दिया, क्योंकि दास की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ।
चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप
25 नवंबर को चिन्मय कृष्ण दास को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया। अगले दिन चटगांव की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया। दास पर देश के झंडे का अपमान करने के आरोप में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके अनुयायियों ने ढाका और अन्य जगहों पर प्रदर्शन किए। चटगांव में प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें एक वकील की मौत हो गई।
वकील की मौत के बाद ISKCON के खिलाफ अभियान
वकील की मौत के बाद ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की मांग शुरू हो गई। ISKCON ने खुद को इस विवाद से अलग कर लिया और कहा कि दास को छह महीने पहले संगठन से निष्कासित कर दिया गया था। 31 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में दास और 18 अन्य पर मामला दर्ज किया गया था। इसमें एक स्थानीय नेता का भी नाम था, जो पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी से जुड़े थे, लेकिन अस्पष्ट कारणों से पार्टी से निष्कासित कर दिए गए।
भारत ने दास की गिरफ्तारी पर चिंता जताई
भारत ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की और बांग्लादेश से अपने देश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।
विदेश मंत्रालय ने 26 नवंबर को दिए बयान में कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी स्वतंत्र हैं, जबकि एक धार्मिक नेता, जो शांतिपूर्ण तरीकों से वैध मांगें रख रहे थे, उनपर आरोप लगाया गया है। हम उन अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को लेकर भी चिंतित हैं, जो दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे।”
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