Imran Khan: जेल में बंद होने के बावजूद पाकिस्तानी सियासत के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं इमरान खान, सोशल मीडिया को बनाया हथियार
Imran Khan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को जेल में एक साल हो गया है। लेकिन इसके बावजूद उनकी ताकत में कमी नहीं हुई है। अखबार, अदालत और सियासत में उनके नाम की गूंज लगातार बनी हुई है और इसका एक बड़ा कारण है सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों का लगातार बढ़ना। खास बात ये है कि जेल में होने की वजह से इमरान खान (Imran Khan) सार्वजनिक तौर पर लोगों को नहीं दिख रहे हैं। लेकिन उनसे नियमित रूप से मिलने की अनुमति रखने वाले कुछ लोग, जिनमें उनके वकील और परिवार शामिल है, लगातार इमरान के संदेशों को बाहर की दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम बन गए हैं। इमरान के करीबी लोग बार-बार यह संदेश दे रहे हैं कि 365 दिन सलाखों के पीछे बिताने के बाद इमरान अब बेदाग हो चुके हैं।
जेल में इमरान की दिनचर्या
जेल में इमरान से मिलने वालों के अनुसार वे अपना पूरा दिन अपनी एक्सरसाइज़ बाइक पर बैठकर पढ़ते और विचार करते हुए बिताते हैं। उनके पास आंगन में घूमने के लिए दिन में एक घंटा होता है। हालांकि उन्हें नई किताबें उपलब्ध करवाने को लेकर जेल प्रशासन कभी-कभी असहमति देता है।
अधिकतर समय पढ़ाई में बीत रहा
इमरान की बहन अलीमा खानम इस बारे में उन्हीं के शब्दों में बताती हैं कि, "मैं जेल में अपना एक मिनट भी बर्बाद नहीं कर रहा हूँ, यह मेरे लिए और अधिक जानकारी प्राप्त करने का अवसर है’।"
उतार चढ़ाव भरा रहा जीवन
पिछले दशक में इमरान खान ने जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखें। इनमें से अधिकतर में सेना की अहम भूमिका रही। कई विश्लेषकों का मानना है कि सैन्य प्रतिष्ठान के साथ करीबी संबंधों ने ही शुरुआत में उन्हें सत्ता हासिल करने में मदद की। लेकिन पिछले साल 9 मई तक हालात पूरी तरह बदल गए। इमरान को 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल कर गिरफ़्तार कर लिया गया था। इस पर उनके समर्थक बड़े स्तर पर विरोध के लिए निकल आए। इनमें से कुछ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए, और इमरान समर्थक सैन्य इमारतों पर हमले करने से भी नहीं चूके। लाहौर में सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी का आधिकारिक आवास को लूटकर उसमें आग लगा दी गई। इसके बाद पाकिस्तान के मीडिया घरानों को उनकी तस्वीर दिखाने, उनका नाम लेने या उनकी आवाज सुनाने से मना कर दिया गया था।
कुछ महीनों की रिहाई और फिर जेल
हालांकि बाद में इमरान को एकबारगी रिहा भी कर दिया गया, लेकिन कुछ ही महीनों के लिए। सरकारी उपहारों की बिक्री की सही घोषणा करने में विफल रहने के कारण उन्हें 5 अगस्त को फिर से जेल में डाल दिया गया। चुनाव से ठीक पहले, उनके खिलाफ़ मामले बढ़ते गए। फरवरी की शुरुआत में यानी मतदान से कुछ दिन पहले ही इमरान को तीन लंबी जेल की सजाएं सुनाई गई, जिनमें से अंतिम 14 साल की थी।
फिर भी मजबूत हैं इमरान
चुनाव तक इमरान की पीटीआई पार्टी के लिए खड़े कई उम्मीदवारों को जेल में डाल दिया गया। कुछ भूमिगत हो गए। पार्टी से उसका जाना-पहचाना प्रतीक क्रिकेट बैट छीन लिया गया था। लेकिन फिर भी इमरान खान द्वारा समर्थित उम्मीदवारों ने किसी और की तुलना में अधिक सीटें जीतीं, जिससे उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को उन्हें रोकने के लिए गठबंधन बनाने पर मजबूर होना पड़ा। इस बीच, पीटीआई ने अदालत में आरोप लगाया कि नतीजों में धांधली हुई थी।
भले ही पीटीआई सरकार बनाने में नाकाम रही। लेकिन इमरान के लिए चीजें निश्चित रूप से बेहतर होती दिख रही हैं। चुनाव से ठीक पहले सुनाई गई उनकी तीनों सजाएं रद्द हो गई हैं, संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने घोषित किया कि उनकी हिरासत मनमानी थी और पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पीटीआई एक आधिकारिक पार्टी है और उसे "आरक्षित सीटें" मिलनी चाहिए। पाकिस्तान की सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इमरान और उनकी पार्टी को एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में देखती है। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही इमरान जेल से बाहर आकर नई हुंकार भर सकते हैं।
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