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Iran Israel War: इन पांच कट्टरपंथी संगठनों पर टिका है ईरान का कॉन्फिडेंस, सीरिया, लेबनान और यमन जैसे देशों में फैला है नेटवर्क

Iran Israel War: हमास के खिलाफ आर-पार की मुहीम में ईरान ने खुलकर इजरायल (Iran Israel War) के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। इस मुहीम में इजरायल को अमेरिका और यूरोपीय देशों का खुला समर्थन है। इसके अलावा मिस्त्र और...
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Iran Israel War

Iran Israel War: हमास के खिलाफ आर-पार की मुहीम में ईरान ने खुलकर इजरायल (Iran Israel War) के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। इस मुहीम में इजरायल को अमेरिका और यूरोपीय देशों का खुला समर्थन है। इसके अलावा मिस्त्र और सऊदी अरब जैसे मध्यपूर्व के इस्लामिक देश भी उसी के पक्ष में नज़र आ रहे हैं।

ऐसे में सवाल है कि विश्वशक्तियों के खिलाफ लड़ने के लिए ईरान का आत्मविश्वास किस पर टिका है? दरअसल ईरान को देशों से ज्यादा पांच कट्टरपंथी संगठनों का समर्थन है, जो अलग-अलग देशों में सक्रिय हैं और समानांतर शक्ति और सियासत का केंद्र बनकर उभरे हैं। इन्हें प्रॉक्सी संगठन भी कहते हैं।

हिजबुल्लाह : लेबनान

ईरान के समर्थन से हिजबुल्लाह की स्थापना 1980 के दशक की शुरुआत में हुई थी। यह संगठन मध्य पूर्व में ईरान का पहला महत्वपूर्ण प्रॉक्सी है। हिजबुल्लाह को ईरान के विशिष्ट सैन्य बल इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) द्वारा आर्थिक और सहायता सहायता मिलती है। यह संगठन तेहरान की शिया इस्लामवादी विचारधारासे प्रभावित है। खासतौर पर लेबनान में इजरायली सेना का मुकाबला करने के लिए गठित, हिजबुल्लाह पिछले दशकों में बेहद मजबूत सैन्य और राजनीतिक बल के रूप में विकसित हुआ है, जिसके पास कम से कम 130,000 रॉकेट और मिसाइलों का शस्त्रागार है।

हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद : गाजा

फिलिस्तीनी क्षेत्रों में, ईरान ने हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (PIJ) जैसे आतंकवादी समूहों के साथ संबंध विकसित किए हैं। ये समूह इजरायल के साथ लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। अब इन्हें ईरान से वित्तीय और सैन्य सहायता मिल रही है।

असद शासन : सीरिया

2011 में सीरियाई गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद से ईरान का सीरिया के बशर अल-असद शासन के साथ मजबूत गठबंधन रहा है। तेहरान ने असद की सेना को मजबूत करने के लिए लगभग 80,000 लड़ाकू कर्मियों सहित पर्याप्त सैन्य सहायता प्रदान की थी। इसके अतिरिक्त, ईरान ने सीरियाई सरकार का समर्थन करने के लिए ज़ैनाबियून ब्रिगेड (जिसमें पाकिस्तानी लड़ाके शामिल हैं) और फ़तेमीयून डिवीजन (अफ़गान हज़ारा लड़ाके शामिल हैं) जैसे विभिन्न शिया मिलिशिया का आयोजन और समर्थन किया है।

हौथी : यमन

ईरान द्वारा समर्थित यमन में हौथी आंदोलन क्षेत्रीय संघर्ष में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरा है। मूल रूप से 1990 के दशक में गठित और 2014 के बाद मजबूत होते गए हौथियों को IRGC से सैन्य और वित्तीय सहायता मिली है।

शिया मिलिशिया : इराक

2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण के बाद, ईरान ने विभिन्न शिया मिलिशिया की स्थापना और समर्थन करके अपने प्रभाव का विस्तार किया है। इस तरह के प्रमुख समूहों में कताइब हिजबुल्लाह, असैब अहल अल-हक और बद्र संगठन शामिल हैं। इन मिलिशिया ने अक्सर अमेरिकी सेना को निशाना बनाया है और तेहरान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं।

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