Stop Sheikh Hasina: भारत में शेख हसीना के बयानों पर बांग्लादेश नाराज, संविधान में भी बड़े बदलाव की तैयारी
Stop Sheikh Hasina: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत को सूचित किया है कि भारत में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के दिए गए राजनीतिक बयानों को लेकर वह नाखुश है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तौफिक हसन ने कहा कि भारत से अनुरोध किया गया है कि शेख हसीना को ऐसे बयान देने से रोका जाए, क्योंकि दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखना जरूरी है।
हसन ने बताया कि सरकार ने ढाका में भारतीय उच्चायुक्त और भारतीय सरकार को इस मामले की जानकारी कई बार दी है। उन्होंने कहा, "सरकार ने इस पर गहरी चिंता जताई है और भारत से अनुरोध किया है कि शेख हसीना को इस तरह के बयान देने से रोका जाए।"
संविधान में बदलाव
इसके साथ ही बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमान ने संविधान में कुछ बड़े बदलावों का प्रस्ताव दिया है। उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान उन्होंने संविधान से "धर्मनिरपेक्षता" और "समाजवाद" को राज्य के सिद्धांतों के रूप में हटाने की मांग की। यह सुनवाई 2011 में अवामी लीग सरकार द्वारा किए गए 15वें संशोधन की वैधता पर एक याचिका के तहत हुई। मौजूदा अंतरिम सरकार इस संशोधन के अधिकतर प्रावधानों को बदलना चाहती है।
असदुज्जमान ने अदालत को बताया कि अंतरिम सरकार संविधान में "केयरटेकर" प्रणाली और जनमत संग्रह के प्रावधानों को फिर से लागू करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान में अवैध सत्ता परिवर्तन को अपराध मानने वाले प्रावधान को हटा देना चाहिए, क्योंकि इसमें मौत की सजा का प्रावधान है और यह लोकतांत्रिक बदलाव को रोकता है।
बांग्लादेश में छिड़ी बहस
यह प्रस्ताव बांग्लादेश में गहरी बहस छेड़ सकता है, क्योंकि यह देश की पहचान और शासन के बुनियादी सिद्धांतों को प्रभावित करता है। 15वें संशोधन में धर्मनिरपेक्षता को राज्य सिद्धांत के रूप में बहाल किया गया था और शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया था। हाल ही में अगस्त में बड़े जन आंदोलन के बाद अवामी लीग सरकार को हटाया गया था, और इसके तीन दिन बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
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