• ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

Study on Covid-19 Virus: इन्फेक्शन के बाद शुक्राणु में 110 दिन तक रह सकता है कोविड-19 वायरस, स्टडी में हुआ खुलासा

Study on Covid-19 Virus: एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि SARS-CoV-2, वायरस जो कोविड-19 (Study on Covid-19 Virus) का कारण है, ठीक हो चुके मरीजों के शुक्राणु में अस्पताल से छुट्टी के 90 दिन बाद तक और प्रारंभिक...
featured-img
(Image Credit: Social Media)

Study on Covid-19 Virus: एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि SARS-CoV-2, वायरस जो कोविड-19 (Study on Covid-19 Virus) का कारण है, ठीक हो चुके मरीजों के शुक्राणु में अस्पताल से छुट्टी के 90 दिन बाद तक और प्रारंभिक संक्रमण के 110 दिन बाद तक रह सकता है। इससे वीर्य की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

ब्राजील में साओ पाउलो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस स्टडी (Study on Covid-19 Virus) पर प्रकाश डाला है। एंड्रोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि बच्चे पैदा करने की योजना बना रहे व्यक्तियों को कोविड-19 से उबरने के बाद क्वारेंटीन अवधि का पालन करना चाहिए।

क्या कहती है स्टडी

स्टडी के अनुसार सामान्य पीसीआर परीक्षणों के माध्यम से वीर्य में SARS-CoV-2 का पता चलना मुश्किल है। अध्ययन ने 21 से 50 वर्ष की आयु के 13 पुरुषों द्वारा दान किए गए वीर्य और शुक्राणु में वायरल आरएनए का पता लगाने के लिए रियल टाइम पीसीआर और ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया। अध्ययन में शामिल वो लीग थे जो हल्के, मध्यम या गंभीर कोविड-19 से उबर चुके हैं।

उल्लेखनीय रूप से, अस्पताल से छुट्टी के 90 दिन बाद तक 13 में से 9 रोगियों (69.2%) के शुक्राणु में वायरस पाया गया था, जिसमें 11 में से 8 मध्यम से गंभीर मामले भी शामिल थे। दो अन्य रोगियों में अल्ट्रास्ट्रक्चरल गैमीट हानि का प्रदर्शन किया गया, जैसा कि कोविड-19 रोगियों में देखा गया था, जिससे पता चलता है कि 13 में से 11 के शुक्राणु में वायरस था।

स्टडी में सामने आयी एक नयी खोज

अध्ययन में एक नई खोज भी सामने आई। शुक्राणु ने SARS-CoV-2 रोगज़नक़ को बेअसर करने के लिए परमाणु डीएनए पर आधारित "बाह्यकोशिकीय जाल" का उत्पादन किया, एक तंत्र जिसे आत्मघाती एटोसिस जैसी प्रतिक्रिया के रूप में जाना जाता है। यह खोज प्रजनन में शुक्राणु की भूमिका में एक नया कार्य जोड़ती है, क्योंकि वे पहले निषेचन, भ्रूण के विकास को सुविधाजनक बनाने और कुछ पुरानी बीमारियों का सह-निर्धारण करने के लिए जाने जाते थे।

अध्ययन के संबंधित लेखक और यूएसपी के मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर जॉर्ज हॉलक ने कहा, "सहायक प्रजनन में शुक्राणु के उपयोग के लिए हमारे निष्कर्षों के संभावित प्रभावों पर चिकित्सकों और नियामकों द्वारा तत्काल विचार किया जाना चाहिए।"

छह महीने तक ना करें बच्चा पैदा

हॉलक SARS-CoV-2 संक्रमण के बाद प्राकृतिक गर्भाधान और प्रजनन को कम से कम छह महीने के लिए स्थगित करने की वकालत करते हैं। यह बात उनलोगों पर भी लागु होती है जिन्हे हल्के कोविड-19 हुए थे। यह सिफ़ारिश अध्ययन के निष्कर्षों और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन जैसी प्रजनन प्रक्रियाओं में वायरस युक्त शुक्राणु का उपयोग करने या खराब गुणवत्ता प्रदर्शित करने से जुड़े संभावित जोखिमों पर आधारित है। चूंकि पुरुष प्रजनन कार्य पर कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों की जांच जारी है, यह अध्ययन सावधानी बरतने और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकियों और भविष्य की प्रजनन क्षमता के संभावित प्रभावों पर विचार करने के महत्व पर प्रकाश डालता है।

यह भी पढ़ें: Iron Deficiency: शरीर में आयरन की कमी से हो सकती है कई परेशानियां, इन फ़ूड आइटम्स से बढ़ाएं आयरन

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज़ tlbr_img4 वीडियो