Survey on Physical Activity: अधिकतर भारतीय हैं निष्क्रिय, WHO के मानक को नहीं करते हैं पूरा, सर्वे में हुआ खुलासा
Survey on Physical Activity: हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए किसी ना किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधि बाहत आवश्यक है। यह वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है, हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करता है और लचीलेपन और संतुलन को बढ़ाता है। नियमित व्यायाम (Survey on Physical Activity) से हृदय रोग, डायबिटीज और कुछ कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। यह सब जानने के बाद भी हमारे देश में किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधि ना करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।
डालबर्ग की स्टेट ऑफ स्पोर्ट्स एंड फिजिकल एक्टिविटी रिपोर्ट के अनुसार, 155 मिलियन भारतीय वयस्क और 45 मिलियन किशोर सक्रिय जीवनशैली के WHO दिशानिर्देशों को पूरा करने में विफल रहे। सर्वेक्षण (Survey on Physical Activity) के नतीजे चिंताजनक हैं और भारतीयों में खेलों और व्यायामों पर ध्यान न देने की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं।
अधिकतर भारतीय रहते हैं निष्क्रिय
सर्वेक्षण दर्शाता है कि भारत को एक सक्रिय राष्ट्र बनने के लिए बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। इसमें आगे कहा गया है कि भले ही कुछ लोग शारीरिक गतिविधियों में संलग्न हों, लेकिन उनकी गतिविधियों में बहुत विविधता नहीं होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर लोग, अपने काम और दैनिक कामकाज के अलावा, पैदल चलने में संलग्न होते हैं - हालांकि, पैदल चलने के अपने फायदे हैं, लेकिन स्वस्थ शरीर के लिए यह पर्याप्त नहीं है। लगभग 10 प्रतिशत वयस्क खेल में संलग्न हैं और नियमित नहीं हैं। जबकि 66 प्रतिशत किशोर नियमित रूप से खेलों में संलग्न होते हैं, उनकी पसंद विविध नहीं होती है।
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं हैं कम सक्रिय
अध्ययन में आगे कहा गया है कि खेल और शारीरिक गतिविधियों में लिंग-विभाजन बहुत चिंताजनक है। औसतन, लड़कियां और महिलाएं, लड़कों और पुरुषों की तुलना में शारीरिक गतिविधि में कम सलग्न हैं। यह लिंग-विभाजन शहरों में और भी बदतर है जहां एक तिहाई लड़कियां और महिलायें WHO के दिशानिर्देशों को पूरा नहीं करती हैं। इसके कई कारण भी हैं। जैसे कहीं बुनियादी ढांचे की कमी हैं तो कहीं महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंताएं भी हैं। वहीँ गलत धारणाएं जैसे कि मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान शारीरिक गतिविधि हानिकारक होता है भी महिलाओं की निष्क्रियता में योगदान देती हैं।
खेल और शारीरिक गतिविधि भारत के विकास में दे सकते हैं योगदान
शारीरिक निष्क्रियता कम श्रमिक उत्पादकता, कम शिक्षा प्राप्ति और स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों में योगदान करती है। सही प्रकार की शारीरिक गतिविधि के साथ, भारत बेहतर सामाजिक और राष्ट्रीय परिणाम प्राप्त कर सकता है। सर्वे के मुताबिक, अगर 2047 तक देश की पूरी आबादी सक्रिय हो तो भारत की जीडीपी 15 ट्रिलियन रुपये से ज्यादा बढ़ सकती है। यह एनसीडी के 110 मिलियन वयस्क मामलों को रोकने में भी मदद कर सकता है, 30,000 कम आत्महत्याओं का कारण बन सकता है और स्वास्थ्य देखभाल लागत में 30 ट्रिलियन रुपये बचा सकता है, जो आमतौर पर मोटापे, हृदय रोगों और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसी स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज में खर्च किया जाता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2047 तक आबादी अपनी दैनिक दिनचर्या में शारीरिक गतिविधि को शामिल करने के साथ-साथ लिंग-विभाजन को भी कम कर सकती है, और वार्षिक व्यय का 4.5 ट्रिलियन रुपये खेलों में जुटाया जा सकता है।
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