Loksabha Election Amethi Seat पहली बार कांग्रेस के गढ़ में गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं, अमेठी में स्मृति को चुनौती दे रहे हैं केएल शर्मा
Loksabha Election Amethi Seat अमेठी। उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट हमेशा से ही सबसे हॉट सीट रही है। 2024 के आम चुनाव में तो यहां का सियासी पारा और अधिक चढ़ गया है। कांग्रेस ने इस बार राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट को चुना है। अमेठी से कांग्रेस ने सोनिया गांधी के विश्वासपात्र केएल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में पिछले 25 सालों में यह पहला मौका है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी से चुनावी मैदान में नहीं है। यहाँ सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि केएल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं।
अमेठी के चुनावी इतिहास पर एक नज़र
बता दें कि 1967 के आम चुनाव से अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। इस सीट से 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी ने चुनाव लड़ा। उस समय देश में इमरजेंसी के विरोध में लहर थी, जिसकी वज़ह से संजय गांधी चुनाव हार गए। उस समय जनता पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने संजय गांधी को हराया था।
1980 के चुनाव में संजय गांधी ने रवीन्द्र प्रताप सिंह को हराया
वहीं 1980 के चुनाव में संजय गांधी ने हार का बदला चुकाया और अमेठी सीट पर रवीन्द्र प्रताप सिंह को शिकस्त दी। संजय गांधी की प्लेन हादसे में मौत के बाद अमेठी सीट पर हुए उप चुनाव में राजीव गांधी चुनावी मैदान में उतरे और विजयी हुए। वर्ष 1984 में अमेठी सीट पर गांधी परिवार के दो - दो सदस्य चुनावी अखाड़े में कूद गए। राजीव गांधी के खिलाफ उनके छोटे भाई संजय गाँधी की विधवा मेनका गांधी मैदान में उतर गईं। इस चुनाव में राजीव गांधी ने बड़ी जीत हासिल की थी।
अमेठी में 1998 और 2019 में खिला कमल
अमेठी सीट से राजीव गांधी 1989 के भी चुनाव में जीते। राजीव गांधी की हत्या के बाद जब उप चुनाव हुए तो कांग्रेस के टिकट पर कैप्टन सतीश शर्मा यहां से सांसद निर्वाचित हुए और 1996 के चुनाव में भी अपनी सीट बरकरार रखी। साल 1998 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर पहली बार कमल खिला। उस समय भाजपा के उम्मीदवार डॉ. संजय सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन सतीश शर्मा को 23 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया।
साल 1999 में सोनिया गांधी अमेठी सीट जीतकर संसद पहुँची
साल 1999 में पहली बार सोनिया गांधी ने अमेठी सीट से चुनावी डेब्यू किया और जीतकर संसद पहुंची। हालाँकि 2004 में कांग्रेस ने यहां से सोनिया गाँधी की बजाय राहुल गाँधी को मैदान में उतारा।
अमेठी से लगातार तीन बार सांसद बने राहुल गांधी
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी के लिए अमेठी सीट छोड़ दी। उसके बाद राहुल गांधी 2004, 2009 और 2014 में लगातार अमेठी से जीतते रहे। वर्ष 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को यहां से हार का सामना करना पड़ा। उस समय भाजपा की ओर से स्मृति ईरानी दूसरी बार चुनावी मैदान में थीं। ज़बरदस्त टक्कर में स्मृति ईरानी ने जीत हासिल कर ली थी। बताते चलें कि 2014 में इस सीट से स्मृति ईरानी, राहुल गांधी से हार गईं थीं। साल 2019 में स्मृति ईरानी को 4 लाख 68 हजार 514 वोट मिले थे, जबकि राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे।
इस बार अमेठी से सोनिया के विश्वासपात्र केएल शर्मा मैदान में
कांग्रेस ने अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतार दिया है। बता दें कि केएल शर्मा गांधी परिवार के करीबी रहे हैं। रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर चुके केएल शर्मा पहली बार चुनावी मैदान में हैं। शर्मा के पास चुनाव प्रबंधन का लंबा अनुभव है। वहीं कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी खोई हुई सियासी ज़मीन को फिर से पाने की है। मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले केएल शर्मा 1983 में यूथ कांग्रेस से जुड़े थे। उसी समय वे राजीव गांधी के करीब पहुंचे। तब से आज तक केएल शर्मा लगातार अमेठी और रायबरेली का दौरा करते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि केएल शर्मा और अमेठी से भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है।
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