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Agra Mubarak Manzil: संरक्षण अधिसूचना के बावजूद मुबारक मंज़िल का विध्वंस, 17वीं शताब्दी की धरोहर पर संकट

Agra Mubarak Manzil: 17वीं शताब्दी में बनी मुबारक मंज़िल, जिसे औरंगज़ेब का हवेली भी कहा जाता है। हाल ही में आगरा में बड़े पैमाने पर तोड़ दी गई। यह घटना तब हुई जब इसे राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षण के...
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Agra Mubarak Manzil: 17वीं शताब्दी में बनी मुबारक मंज़िल, जिसे औरंगज़ेब का हवेली भी कहा जाता है। हाल ही में आगरा में बड़े पैमाने पर तोड़ दी गई। यह घटना तब हुई जब इसे राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षण के लिए अधिसूचित किया गया था। स्थानीय निवासियों ने एक बिल्डर और अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। आगरा के जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बांगारी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

ऐतिहासिक महत्व

मुबारक मंज़िल का निर्माण औरंगज़ेब के शासनकाल में हुआ था। यह शाहजहां, शुजा और औरंगज़ेब जैसे प्रमुख मुगल शासकों के निवास के रूप में उपयोग की जाती थी। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे सीमा शुल्क कार्यालय और नमक कार्यालय में परिवर्तित कर दिया गया। 1902 तक इसे तारा निवास के नाम से जाना जाता था।

ऑस्ट्रियाई इतिहासकार एबा कोच ने अपनी किताब 'द कम्प्लीट ताजमहल एंड द रिवरफ्रंट गार्डन्स ऑफ आगरा' में इस स्थल का विस्तार से वर्णन किया है। 1871 में आर्चीबाल्ड कैंपबेल कार्लाइल की रिपोर्ट ने इसके वास्तुशिल्पीय महत्व को उजागर किया था।

विध्वंस की घटना

सितंबर में पुरातत्व विभाग ने मुबारक मंज़िल को संरक्षित स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इस पर कोई आपत्ति नहीं उठाई गई। लेकिन, लखनऊ से अधिकारियों की यात्रा के बाद ही, इमारत का विध्वंस शुरू हो गया। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि बिल्डर ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से यह तोड़फोड़ करवाई।

स्थानीय निवासी कपिल वाजपेयी ने कहा, "मैंने अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब तक 70% संरचना नष्ट हो चुकी है। हम इस मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करने की योजना बना रहे हैं।"

प्रशासन की प्रतिक्रिया

आगरा के डीएम ने बताया कि मामले को गंभीरता से लिया गया है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और राजस्व विभाग को जांच के निर्देश दिए गए हैं। एसडीएम को स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, स्थल पर किसी भी प्रकार के परिवर्तन पर रोक लगा दी गई है।

स्थानीय इतिहास और वास्तुकला

एक संगमरमर की पट्टिका पर अंकित है कि मुबारक मंज़िल का निर्माण औरंगज़ेब ने समुगढ़ की लड़ाई में विजय के बाद करवाया था। इसे दारा शिकोह के महल का नाम बदलकर उनके पराजय के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया।

1868 के आगरा के नक्शे में मुबारक मंज़िल को पंटून ब्रिज (वर्तमान लोहे के पुल) के पास स्थित दिखाया गया है। ब्रिटिश शासनकाल में इसे ईस्ट इंडियन रेलवे के माल डिपो के रूप में उपयोग किया गया। इसका लाल बलुआ पत्थर का आधार, निचली मंज़िल के मेहराब, और मीनारें मुगल और ब्रिटिश वास्तुकला के अद्वितीय मिश्रण को दर्शाती हैं।

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