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Ajit Doval: भारत-चीन संबंधों में नई पहल, 5 साल के अंतराल के बाद अजीत डोभाल और वांग यी के बीच बैठक

Ajit Doval: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल पांच साल के लंबे अंतराल के बाद अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मिलने के लिए आज बीजिंग पहुंचे। यह बैठक "विशेष प्रतिनिधि संवाद" के तहत आयोजित की जा रही है, जिसका...
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Ajit Doval: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल पांच साल के लंबे अंतराल के बाद अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मिलने के लिए आज बीजिंग पहुंचे। यह बैठक "विशेष प्रतिनिधि संवाद" के तहत आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य भारत-चीन के 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक

डोभाल और वांग के बीच पिछली बैठकों में बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई थी, लेकिन सीमा विवाद पर ठोस प्रगति नहीं हुई। इस बार का संवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक के मार्गदर्शन पर आधारित है।

कज़ान में 24 अक्टूबर को हुई ब्रिक्स बैठक में दोनों शीर्ष नेताओं ने पूर्वी लद्दाख के देमचोक और देपसांग बुलेज क्षेत्र में सेना के विवादित मुद्दों को सुलझाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। इस फैसले ने दोनों सेनाओं को इन क्षेत्रों में अपने अनिवार्य सीमा गश्त (पेट्रोलिंग) को पुनः शुरू करने का मार्ग प्रशस्त किया।

एलएसी पर शांति बहाली के लिए नए कदमों पर विचार

मई 2020 के बाद, पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों ने भारी सैन्य और हथियार तैनात किए थे। इस बार की वार्ता में डोभाल और वांग एलएसी पर शांति बहाली के लिए नए कदमों पर विचार करेंगे और सेना के स्तर पर "डि-एस्केलेशन" और "रीलोकेशन" पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, बातचीत का मुख्य मुद्दा देपसांग और देमचोक क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखना और इसे आगे बढ़ाते हुए शांति और सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। मौजूदा समय में, एलएसी पर स्थिति स्थिर है, और दोनों सेनाएं संयुक्त रूप से गश्त कर रही हैं।

मोदी सरकार ने रखा संयमित रुख

हालांकि मोदी सरकार ने इस उच्च स्तरीय बैठक पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वार्ता का फोकस सीमा विवाद का समाधान खोजना और सकारात्मक माहौल बनाए रखना होगा। चर्चा के दौरान दोनों पक्षों द्वारा सीमा पर रहने वाले निवासियों के चराई और पशुपालन अधिकारों को संरक्षित करने पर भी जोर दिया जाएगा। वांग यी और अजीत डोभाल के बीच यह बैठक भारत-चीन के संबंधों में शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रही है।

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