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Bishnoi Gang Shooter: मुख्य शूटर हुआ गिरफ्तार, बाबा सिद्दीकी या जीशान सिद्दीकी में से किसी एक को मारने का था प्लान

Bishnoi Gang Shooter: बाबा सिद्दीकी की हत्या मामले में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्य शूटर शिव कुमार गौतम ने मुंबई पुलिस को बताया है कि लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह का मकसद एनसीपी नेता या उनके बेटे जीशान में से किसी...
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Bishnoi Gang Shooter: बाबा सिद्दीकी की हत्या मामले में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्य शूटर शिव कुमार गौतम ने मुंबई पुलिस को बताया है कि लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह का मकसद एनसीपी नेता या उनके बेटे जीशान में से किसी एक की हत्या करना था।

शूटर ने किया खुलासा

गौतम ने पुलिस को बताया कि बिश्नोई के गिरोह ने उसे दोनों में से किसी एक को मारने का काम सौंपा था। उसने यह भी कबूला कि दो अन्य आरोपियों के साथ मिलकर उन्होंने मुंबई में एनसीपी नेता की गतिविधियों और उनके आने-जाने का गहराई से सर्वे किया था।

12 अक्टूबर को गिरोह ने सिद्दीकी की हत्या की, जिसका फायदा उन्होंने शहर में चल रहे त्योहार के माहौल से उठाया। सिद्दीकी पर फायरिंग करने के बाद, गौतम ने अपना हुलिया बदल लिया और भीड़ में घुल-मिल गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि, उसने वहां काफी देर तक अव्यवस्था का मुआयना किया ताकि उस पर शक न हो।

भागने की योजना

हत्या को अंजाम देने के बाद, गौतम ने एक ऑटो लिया और कुरला स्टेशन पहुंचा, फिर लोकल ट्रेन से ठाणे गया। वहां से वह पुणे जाने के लिए ट्रेन में सवार हुआ और रास्ते में अपना मोबाइल फोन फेंक दिया ताकि उसका पता न लगाया जा सके। गौतम पुणे में सात दिन रुका और फिर ट्रेन से उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंचा। वहां उसने पांच दिन बिताए और फिर लखनऊ गया, जहां उसने अपने साथियों से संपर्क करने के लिए नया मोबाइल फोन खरीदा।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने किया गिरफ्तार

लखनऊ में 11 दिन रुकने के बाद, उसने बहराइच में रुकने की योजना बनाई। इस बीच, उसके साथियों ने पास के एक गांव में उसके लिए सुरक्षित ठिकाने की व्यवस्था की। गौतम ने वैष्णो देवी मंदिर जाने के बाद नेपाल भागने का इरादा किया था, लेकिन उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने बहराइच से उसे गिरफ्तार कर लिया और उसकी योजना नाकाम कर दी।

अबतक कुल अरेस्ट

गौतम की गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले में गिरफ्तारियों की संख्या 23 हो गई है। गौतम के साथ, पुलिस ने चार अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया, जिन्होंने उसे शरण देने और नेपाल भागने की योजना में मदद की थी। इनकी पहचान अनुराग कश्यप, ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, आकाश श्रीवास्तव, और अखिलेश प्रताप सिंह के रूप में हुई है।

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