राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

CPM Political Stance: मोदी सरकार को ‘फासीवादी’ कहने से बचा सीपीएम, वाम दलों में दरार

CPM Political Stance: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने अपनी राज्य इकाइयों को एक विस्तृत नोट जारी किया है।
06:09 PM Feb 25, 2025 IST | Ritu Shaw

CPM Political Stance: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने अपनी राज्य इकाइयों को एक विस्तृत नोट जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि उसकी 24वें पार्टी कांग्रेस के लिए तैयार किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में मोदी सरकार को "फासीवादी" या "नव-फासीवादी" करार क्यों नहीं दिया गया है।

इस स्टैंड से वाम दलों के बीच मतभेद गहराते दिख रहे हैं, क्योंकि सहयोगी दल सीपीआई ने इस पर आपत्ति जताई है और अपनी स्थिति सुधारने की मांग की है। सीपीएम के नोट में कहा गया है, "बीजेपी, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का राजनीतिक संगठन है, उसके 10 साल के लगातार शासन के बाद सत्ता का केंद्रीकरण हुआ है। इसके परिणामस्वरूप नव-फासीवादी प्रवृत्तियाँ उभर रही हैं।"

नोट में क्या कहा?

नोट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रस्ताव में "विशेषताओं" का उल्लेख किया गया है, जिसका अर्थ "लक्षण" या "रुझान" है, न कि मोदी सरकार को सीधे नव-फासीवादी सरकार करार देना। "यह राजनीतिक प्रस्ताव हिंदुत्व-पूंजीवादी सत्तावाद के उस खतरे को उजागर करता है, जो नव-फासीवाद की ओर बढ़ सकता है, अगर बीजेपी-आरएसएस को रोका नहीं गया।"

जहां सीपीआई और सीपीआई (एमएल) लंबे समय से आरएसएस और भाजपा के कट्टर विरोधी रहे हैं, वहीं सीपीएम का रुख हमेशा अपेक्षाकृत संतुलित रहा है। पार्टी की 22वीं कांग्रेस में कहा गया था कि "सत्तावादी और हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक हमले उभरते फासीवादी रुझानों को दर्शाते हैं।" जबकि 23वीं कांग्रेस में यह कहा गया कि मोदी सरकार "आरएसएस के फासीवादी एजेंडे को लागू कर रही है।"

सीपीआई और कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस ने इस नोट पर तीखी प्रतिक्रिया दी, जबकि सीपीआई ने यह कहते हुए नाराजगी जताई कि "मोदी सरकार को फासीवादी कहने से बचने की इतनी जल्दी क्यों है?" सीपीआई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने कहा, "फासीवादी विचारधारा यह सिखाती है कि कैसे धर्म और आस्था का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, और भाजपा सरकार इसे व्यवहार में लागू कर रही है।"

कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने आरोप लगाया कि सीपीएम का यह आकलन मोदी सरकार के साथ "समझौता" करने और संघ के अधीन काम करने की उसकी नीति का हिस्सा है। उन्होंने मलप्पुरम में पत्रकारों से कहा, "सीपीएम की यह खोज चौंकाने वाली नहीं है, यह भाजपा के साथ उसके गुप्त संबंधों को उजागर करता है। केरल में सीपीएम ने हमेशा संघ और फासीवाद से समझौता किया है और यह नया दस्तावेज़ उसी को बचाने और टिके रहने का प्रयास है।"

इस बीच, सीपीएम केंद्रीय समिति के सदस्य ए. के. बालन ने तिरुवनंतपुरम में कहा कि पार्टी ने कभी भी मोदी सरकार को उसके मूल रूप में फासीवादी नहीं आंका है। उन्होंने कहा, "हमने हमेशा उभरती हुई प्रवृत्तियों की बात की है, न कि संपूर्ण रूप से फासीवादी सरकार की।" सीपीएम के इस रुख से वाम दलों के बीच वैचारिक मतभेद और बढ़ते दिख रहे हैं, जिससे 2024 के चुनावी समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें: Nep Tamilnadu: तीन-भाषा नीति पर बवाल, अभिनेत्री से नेता बनीं रंजना नचियार ने BJP छोड़ी

Tags :
BJP RSS political powerBreaking NewsCongress reaction Modi govtCPI Congress criticismCPM Modi governmentfascism in IndiaHindutva authoritarianismLeft Front politicsneo-fascism characteristicspolitical resolution CPM
Next Article