Demolition Process: क्या बुलडोजर एक्शन कानूनी है? जानें इसकी कानूनी प्रक्रिया
Demolition Process: सुप्रीम कोर्ट की बुलडोजर एक्शन पर कड़ी फटकार के बाद ये सवाल उठता है कि आखिर यूपी सरकार किन कानूनी आधारों पर आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चला रही है? पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, आर.एम. लोधा के अनुसार, कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। तो आखिर क्या है ये प्रक्रिया जिसके तहत ही किसी की समपत्ति को नष्ट किया जाना चाहिए। आइये जानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बिना कारण बताओ नोटिस के तोड़फोड़ को अवैध ठहराते हुए कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की शक्तियों का अतिक्रमण नहीं कर सकती और मनमाने तरीके से कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। कई राज्यों में देखा गया है कि अपराध करने वाले व्यक्ति के घर पर जल्द ही बुलडोजर कार्रवाई की जाती है, लेकिन क्या कानून अपराधी के घर को गिराने की अनुमति देता है?
समपत्ति नष्ट करने का कानूनी प्रावधान
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, केवल दोषी को ही कानून द्वारा निर्धारित सजा दी जा सकती है, उसके घर को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के नष्ट नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, कई राज्यों में बिना नोटिस के बुलडोजर चलाए जाने की घटनाएं सामने आती हैं।
राज्यों में नगर निगम ऐसे मामलों में संलिप्त होता है और अवैध निर्माण के मामलों में, संबंधित व्यक्ति को नोटिस दिया जाना चाहिए, जिसकी अवधि 15 दिन से एक महीने तक हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में सरकार की बुलडोजर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1973 के तहत करती है। इस कानून की धारा 27 के तहत अवैध संपत्तियों को ढहाने का अधिकार दिया गया है, और संबंधित प्राधिकरण का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष नोटिस जारी कर सकता है। जिनका मकान गिराया जा रहा है, वे भी 30 दिनों के भीतर अध्यक्ष के पास अपील कर सकते हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई संपत्ति सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई गई है, तो प्रशासन उसे गिरा सकता है। साथ ही, अगर कोई अपराधी फरार है या कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है, तो उसकी संपत्ति कुर्क की जा सकती है। लेकिन बिना उचित प्रक्रिया और नोटिस के बुलडोजर कार्रवाई को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती।
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