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Election Rules Amendment: चुनाव आयोग का बड़ा कदम, CCTV फुटेज सार्वजनिक करने पर रोक

Election Rules Amendment: दिसंबर में चुनाव आयोग (ECI) द्वारा मतदान नियमों में किए गए संशोधनों के तहत मतदान केंद्रों से सीसीटीवी फुटेज के सार्वजनिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह कदम मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा और मशीन लर्निंग...
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Election Rules Amendment: दिसंबर में चुनाव आयोग (ECI) द्वारा मतदान नियमों में किए गए संशोधनों के तहत मतदान केंद्रों से सीसीटीवी फुटेज के सार्वजनिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह कदम मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा और मशीन लर्निंग मॉडल्स के लिए फुटेज के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इस बदलाव की जानकारी दी।

सीसीटीवी फुटेज पर प्रतिबंध क्यों?

राजीव कुमार ने स्पष्ट किया, "मतदान केंद्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज जनता को नहीं दी जाएगी। पहले भी यह प्रतिबंधित था।" उन्होंने बताया कि दिसंबर में कानून मंत्रालय द्वारा अधिसूचित संशोधन के तहत नियम 93(2) में बदलाव किया गया, जिससे 25 फॉर्म्स की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इन फॉर्म्स तक जनता की पहुंच पहले की तरह बनी रहेगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह संशोधन मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा और उनके प्रोफाइलिंग को रोकने के लिए किया गया है। उन्होंने बताया कि 10.5 लाख मतदान केंद्रों पर सुबह से सीसीटीवी रिकॉर्डिंग शुरू होती है, जो लगभग 10 घंटे की होती है। इस तरह से कुल मिलाकर 1 करोड़ घंटे का फुटेज तैयार होता है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, "लोग इसे क्यों देखना चाहते हैं? मैं बताता हूं, यह मशीन लर्निंग के लिए दिया जाएगा।"

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खतरा

राजीव कुमार ने कहा, "अगर यह फुटेज सार्वजनिक हो गया तो हमारे चेहरे और हमारी गोपनीयता सार्वजनिक हो जाएगी। मशीन यह सीख लेगी कि हम कैसे वोट करते हैं और फिर सोशल मीडिया पर एआई जनरेटेड सामग्री के जरिए गलत सूचना फैलाने का खतरा बढ़ जाएगा।"

उन्होंने यह भी बताया कि अगर किसी एक निर्वाचन क्षेत्र की फुटेज भी सार्वजनिक की गई, तो उसे देखने में 6.5 साल लग सकते हैं। तब तक चुनाव याचिका दाखिल करने की समय सीमा भी समाप्त हो जाएगी।

संशोधन पर पारदर्शिता विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

दिसंबर में किए गए संशोधन के बाद पारदर्शिता विशेषज्ञों ने कहा था कि इस बदलाव के तहत सभी चुनावी दस्तावेज, जो CoE नियमों में सूचीबद्ध नहीं हैं, बिना अदालत के आदेश के सार्वजनिक नहीं किए जा सकते। इसके चलते जिला चुनाव अधिकारी और अन्य प्राधिकरण विभिन्न कानूनों, जैसे सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), के तहत जानकारी देने से इनकार कर सकते हैं।

इस संशोधन ने चुनाव प्रक्रिया में गोपनीयता और डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, लेकिन पारदर्शिता पर इसके प्रभाव को लेकर बहस जारी है।

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