Former SEBI Chief FIR: सेबी के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों पर FIR दर्ज करने का आदेश
Former SEBI Chief FIR: मुंबई की एक विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत ने शनिवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और अन्य पांच सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया। इनमें सेबी के तीन वर्तमान पूर्णकालिक सदस्य और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के दो अधिकारी शामिल हैं।
यह मामला 1994 में बीएसई (BSE) पर एक कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देने में कथित अनियमितताओं और नियामक निगरानी में कथित चूक से संबंधित है। शिकायतकर्ता ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों का हवाला देते हुए सरकारी अधिकारियों द्वारा आपराधिक कदाचार और अवैध लाभ प्राप्त करने के आरोप लगाए हैं।
कोर्ट का आदेश और SEBI की प्रतिक्रिया
विशेष न्यायाधीश एस. ई. बंगार ने 1 फरवरी को दिए अपने आदेश में कहा, "नियामकीय चूक और मिलीभगत के प्राथमिक साक्ष्य मौजूद हैं, जिनकी निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच आवश्यक है।" रविवार को सेबी ने एक बयान जारी कर कहा कि वह इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा। सेबी ने कहा कि वह सभी मामलों में नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शिकायतकर्ता कौन है और आरोप क्या हैं?
यह आदेश सापन श्रीवास्तव नामक व्यक्ति की निजी शिकायत पर दिया गया है, जिन्होंने खुद को एक मीडिया कर्मी बताया। उन्होंने बुच (60) और अन्य अधिकारियों—अश्विनी भाटिया, आनंद नारायण, कमलेश वर्श्नेय (तीनों सेबी के पूर्णकालिक सदस्य), प्रमोद अग्रवाल (बीएसई के चेयरमैन और सार्वजनिक हित निदेशक), और सुंदररमन राममूर्ति (बीएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ) के खिलाफ जांच की मांग की थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया कि इन अधिकारियों ने अपनी नियामकीय जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में विफलता दिखाई, जिससे बाजार में हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला। शिकायतकर्ता का कहना है कि उन्होंने पुलिस और नियामकीय एजेंसियों से कई बार संपर्क किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण उन्हें अदालत का रुख करना पड़ा।
कोर्ट ने क्यों दिया FIR दर्ज करने का आदेश?
कोर्ट ने कहा कि मामले में लगाए गए आरोप "संज्ञेय अपराध को दर्शाते हैं, जिससे जांच आवश्यक हो जाती है।" अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि "शेयर बाजार रिपोर्ट और नियामकीय फाइलिंग से पता चलता है कि शेयर की कीमतों में आर्टिफिशियल रूप से वृद्धि कर बाजार में हेरफेर किया गया।"
अदालत ने 2015 के एक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी निजी शिकायत को एक हलफनामे के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि याचिकाकर्ता ने पूरी सावधानी बरती है।
अगले कदम
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "आरोपों की गंभीरता, संबंधित कानूनों और न्यायिक मिसालों को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत को जांच के लिए आदेश देना उचित प्रतीत होता है।" इसके तहत, "भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, वर्ली, मुंबई क्षेत्र को IPC, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सेबी अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है।"
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