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GSLV F15: भारत के अंतरिक्ष सफर में 100वां मिशन, NVS-02 उपग्रह की उड़ान

GSLV F15: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को घोषणा की कि उसके रॉकेट GSLV-F15 और उपग्रह NVS-02 का एकीकरण पूरा हो गया है। GSLV-F15 रॉकेट, जो स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण से सुसज्जित है, 29 जनवरी को उपग्रह NVS-02 के...
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GSLV F15: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को घोषणा की कि उसके रॉकेट GSLV-F15 और उपग्रह NVS-02 का एकीकरण पूरा हो गया है। GSLV-F15 रॉकेट, जो स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण से सुसज्जित है, 29 जनवरी को उपग्रह NVS-02 के साथ लॉन्च के लिए तैयार है। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा, जो इस केंद्र का 100वां मिशन होगा।

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पहले ट्विटर) पर लिखा, "GSLV-F15 का एकीकरण पूरा! इस मिशन के पीछे की अद्भुत टीमवर्क पर एक नजर डालें। लॉन्च के लिए केवल 3 दिन बचे हैं! हमारे साथ जुड़ें और नए आयामों को छूने की इस यात्रा का हिस्सा बनें।"

इस लॉन्च की प्रमुख जानकारी

GSLV-F15 रॉकेट NVS-02 उपग्रह को भू-समकालिक अंतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit) में स्थापित करेगा। यह लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से होगा।

NVS-02 उपग्रह की विशेषताएं

NVS-02, NVS श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है।
यह L1, L5 और S बैंड में नेविगेशन पेलोड और C-बैंड में रेंजिंग पेलोड से सुसज्जित है।
NVS-02 को सटीक समय निर्धारण के लिए स्वदेशी और आयातित परमाणु घड़ियों के संयोजन के साथ तैयार किया गया है।
इस उपग्रह को बेंगलुरु स्थित यूआर सैटेलाइट सेंटर (URSC) में डिजाइन, विकसित और एकीकृत किया गया है।

NavIC प्रणाली का महत्व

इसरो के अनुसार, "नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) भारत की स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है। यह प्रणाली भारत और इसके आसपास के 1,500 किमी के क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय (PVT) सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई है।" NVS-02 के साथ, NavIC प्रणाली को और सशक्त बनाने के लिए NVS-01/02/03/04/05 उपग्रहों को तैनात किया जाएगा।

GSLV-F15: मिशन की प्रमुख बातें

यह भारत के भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) की 17वीं उड़ान है।
यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ GSLV की 11वीं उड़ान है।
यह GSLV की 8वीं परिचालन उड़ान है, जिसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण का उपयोग किया गया है।
इस ऐतिहासिक मिशन से न केवल भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता मजबूत होगी, बल्कि यह क्षेत्रीय नेविगेशन और सटीक सेवाओं में एक नई ऊंचाई को छुएगा।

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