India Constitution Day 2024: "न्याय, समानता और स्वतंत्रता की अमर गाथा": राष्ट्रपति मुर्मू
India Constitution Day 2024: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को संविधान को एक "जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज़" बताते हुए कहा कि यह हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य की मजबूत नींव है और यह हमारे सामूहिक और व्यक्तिगत गरिमा को सुनिश्चित करता है।
संविधान दिवस के अवसर पर संसद के पुराने भवन, जिसे अब संविधान सदन कहा जाता है, वहां के सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “हमारे दूरदर्शी संविधान निर्माताओं ने समय के साथ बदलते हुए विचारों को अपनाने की व्यवस्था दी। हमने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास से जुड़े कई महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को संविधान के माध्यम से प्राप्त किया है। नई सोच के साथ, हम भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक नई पहचान बना रहे हैं।”
संविधान के निर्माण के समय से अब तक की यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “संविधान निर्माताओं ने भारत को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का निर्देश दिया था। आज, हमारा देश एक अग्रणी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ 'विश्व-बंधु' के रूप में यह भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा है।”
आजादी के 75 वर्षों और 'आजादी का अमृत महोत्सव' जैसे मौकों को चिह्नित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रकार के उत्सव हमें हमारी यात्रा का मूल्यांकन करने और भविष्य की बेहतर योजना बनाने के अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व में हमें एक प्रेरणादायक संविधान मिला, जो अन्य देशों के लिए भी एक आदर्श बन गया है।
भीम राव अंबेडकर को किया याद
डॉ. अंबेडकर के योगदान का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उनके प्रगतिशील और समावेशी विचारों की छाप संविधान में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि डॉ. प्रसाद ने 1949 में अपने संबोधन में यह आशा व्यक्त की थी कि हमारे देशवासी संविधान को जीवंत बनाए रखने में सक्षम होंगे। महिला संविधान निर्माताओं के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज़ स्वतंत्रता संग्राम के लंबे संघर्ष का परिणाम है और उस असाधारण राष्ट्रीय आंदोलन के आदर्श संविधान की प्रस्तावना में संक्षेप में समाहित हैं।
संविधान में लिखें न्याय, स्वतंत्रता, समानता का ज़िक्र
उन्होंने कहा, “संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श प्राचीन काल से भारत की पहचान रहे हैं। ये आदर्श एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जिसमें हर नागरिक को प्रगति, समाज में योगदान और सह-नागरिकों की मदद का अवसर मिलता है।”
राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों की स्पष्ट रूप से संविधान में व्याख्या की गई है, जिनमें भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करना, समाज में सद्भाव बढ़ाना, महिलाओं की गरिमा सुनिश्चित करना, पर्यावरण की रक्षा करना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना, सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना और देश को उच्चतर उपलब्धियों तक ले जाना शामिल हैं।
उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया और कहा कि इससे उनके जीवन में सुधार हुआ है और विकास के नए अवसर प्रदान किए गए हैं। न्यायपालिका द्वारा न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के प्रयासों की भी प्रशंसा की गई। इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने एक स्मारक सिक्का, डाक टिकट, संस्कृत और मैथिली में संविधान की प्रतियां और दो पुस्तकें भी जारी कीं।
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