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आंखों में नमी लेकर कुर्सी छोड़ कर चले गए जगदीप धनखड़, राज्यसभा में आखिर क्यों रुंध गया उपराष्ट्रपति का गला?

Jagdeep Dhankhar: गुरुवार 8 अगस्त को संसद में विनेश फोगाट के ओलंपिक से बाहर डिस्क्वालिफाई होने को लेकर काफी हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश, जिसपर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ नाराज होते नजर...
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Jagdeep Dhankhar: गुरुवार 8 अगस्त को संसद में विनेश फोगाट के ओलंपिक से बाहर डिस्क्वालिफाई होने को लेकर काफी हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश, जिसपर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ नाराज होते नजर आए। पहले कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में यह मुद्दा उठाने की कोशिश, तो उनके बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी विनेश के ओलंपिक से बाहर किए जाने का जिक्र किया। इसपर परेशान और गुस्से में दिख रहे धनखड़ ने ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "मुझे सदन में हर रोज अपमानित किया जा रहा है।"

क्यों नाराज हुए धनखड़?

सदन में विनेश फोगट को ओलंपिक से अयोग्य ठहराए जाने पर चर्चा हो रही थी और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा बयान दे रहे थे। "पूरा देश विनेश फोगट के साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री ने कल उन्हें "चैंपियन ऑफ चैंपियंस" कहा और प्रधानमंत्री की आवाज 140 करोड़ लोगों की आवाज है। दुर्भाग्य से, हम इसे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बांट रहे हैं। नड्डा ने कहा कि "दुर्भाग्य से विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है जिस पर वे चर्चा करना चाहते हों और जिसके लिए सत्ता पक्ष तैयार हो...मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत सरकार, खेल मंत्रालय और आईओसी (IOC) ने सभी मंचों पर समाधान का प्रयास किया"।

नड्डा के बयान की निंदा करते हुए विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उन्हें रोकते हुए धनखड़ ने कहा, "...वे (विपक्ष) सोचते हैं कि केवल वे ही हैं जिनके दिल में दर्द है...लड़की की वजह से पूरा देश दर्द में है। हर कोई स्थिति को साझा कर रहा है लेकिन इसका मुद्रीकरण करना, इसका राजनीतिकरण करना, लड़की का सबसे बड़ा अपमान है। उस लड़की को अभी लंबा सफर तय करना है..."

"इस आचरण को नहीं कर सकता बर्दाश्त"

हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन अपनी टिप्पणी पर जोर देते रहे। इसके बाद धनखड़ ने उनके व्यवहार की निंदा की और कहा, "आप अध्यक्ष पर चिल्ला रहे हैं। मैं इस व्यवहार की निंदा करता हूं। क्या कोई इस तरह के आचरण को बर्दाश्त कर सकता है?..." इसपर विपक्ष की कई पार्टिया सदन से बाहर चली गईं। जिसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ भी नाराज होते नजर आए।

धनखड़ ने कहा, 'माननीय सदस्यगण, इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय प्रजातंत्र के ऊपर कुठाराघात करना, अध्यक्ष की गरिमा को धूमिल करना, शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण माहौल पैदा करना, ये अमर्यादित आचरण नहीं है, बल्कि ये हर सीमा को लांघित करने वाला आचरण है।'

उन्होंने आगे कहा, 'ये सदन इस समय देश की रूलिंग के पार्टी के अध्यक्ष को यहां देख रही है. ये सदन इस समय प्रतिपक्ष दल के राष्ट्रीय के अध्यक्ष की भी उपस्थिति देख रही है। कांग्रेस की वरिष्ठतम नेता भी इस सदन की सदस्य हैं, जो मैं हाल के दिनों में देख रहा हूं और जिस तरह से चुनौती शब्दों से, पत्र के माध्यम से, अखबार के माध्यम द्वारा... कितनी गलत टिप्पणी की है मैंने देखा है। मेरे को यह चुनौती नहीं दी जा रही है, यह चुनौती सभापति के पद को दी जा रही है। ये चुनौती इसलिए दी जा रही है कि जो व्यक्ति इस पद पर बैठा है वो इसके लायक नहीं है, ऐसा ये लोग सोचते हैं।'

मैं भाग नहीं रहा हूं'

जगदीप धनखड़ ने आगे कहा, 'सदन की गरिमा को कम मत करिए .. अमर्यादित आचरण मत अपनाइए .. जयराम रमेश हंसिए मत .. आपकी आदतें मुझे पता है .. कुछ सांसद गलत टिप्पणी करते हैं .. मुझे हाउस का समर्थन जितना चाहिए था उतना नहीं मिला है। मैंने प्रयास में कोई कमी नहीं की। अब मेरे पास एक ही विकल्प है कि मैं अपनी शपथ से दूर नहीं भाग रहा हूं। मैंने आज जो देखा है, सदस्य ने जिस तरह का व्यवहार किया, शारीरिक रूप से किया है, जिस तरह का व्यवहार इधर से भी हुआ है। मैं कुछ समय के लिए अपने आप को यहां बैठने में सक्षम नहीं पा रहा हूं।' और ऐसा कहकर वे सदन से चले गए।

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