बीजू जनता दल का साथ छोड़ ममता मोहंता ने थामा बीजेपी का दामन
Mamata Mohanta in BJP: पूर्व राज्यसभा सांसद ममता मोहंता बीजू जनता दल (बीजद) और उच्च सदन से इस्तीफा देने के एक दिन बाद यानी गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं। ओडिशा में कुडुमी समुदाय की एक प्रसिद्ध नेता के रूप में जानी जाने वाली, मोहंता ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से दो साल पहले इस्तीफा दिया है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, "मुझे आज ओडिशा राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाली ममता मोहंता का एक पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने राज्यसभा में अपनी सीट से इस्तीफा दिया है। उन्होंने एक पत्र लिखकर इस्तीफा दिया है। मुझे यह संवैधानिक रूप से उचित लगा और इसलिए मैंने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया।"
बिना किसी विरोध हासिल की जीत
48 वर्षीय मोहंता मार्च 2020 में बीजू जनता दल के सदस्य के रूप में ओडिशा से संसद के उच्च सदन के लिए चुनी गई थीं। उन्होंने 2020 में ओडिशा की चार सीटों में से बिना किसी विरोध के अपनी सीट जीती थी। उनके इस्तीफे के बाद, अब राज्यसभा में बीजू जनता दल के 8 सदस्य हैं।
मोहंता ने एक्स जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, उसपर एक पोस्ट लिखते हुए कहा, "मैं मयूरभंज के लोगों की सेवा करने और ओडिशा के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का अवसर देने के लिए ईमानदारी से आभार व्यक्त करती हूं। हालांकि, मुझे लगता है कि BJD में मेरी और मेरे समुदाय की सेवाओं की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए, मैंने जनहित में यह कठोर निर्णय लिया है।"
ମୁଁ ଆଜି ରାଜ୍ୟସଭା ସଦସ୍ୟ ପଦରୁ ଇସ୍ତଫା ଦେଇଛି । ବିଜୁ ଜନତା ଦଳର ସଭାପତି ଶ୍ରୀ ନବୀନ ପଟ୍ଟନାୟକଙ୍କ ପାଖକୁ ମଧ୍ୟ ଇସ୍ତଫା ପତ୍ର ପଠାଇ ଦେଇଛି । ମୋତେ ଜିଲ୍ଲା ପରିଷଦର ସଦସ୍ୟ ଓ ରାଜ୍ୟସଭାର ସଦସ୍ୟ ଭାବେ ସେ ମନୋନୀତ କରି ମୋର ଜିଲ୍ଲା ମୟୂରଭଞ୍ଜ ଓ ରାଜ୍ୟର ସେବା କରିବା ପାଇଁ ସୁଯୋଗ ଦେଇଥିଲେ । pic.twitter.com/7Y6KLiuel9
— MP Mamata Mohanta (@MamataMohanta5) July 31, 2024
वहीं, मोहंता के करीबी लोगों ने कहा कि वह अपने एमपीएलएडी फंड का स्वतंत्र रूप से उपयोग नहीं कर सकती थीं, क्योंकि उन्हें पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के आदेशों का पालन करना था। बुधवार को उनके इस्तीफे पर बोलते हुए, ओडिशा भाजपा विधायक अशोक मोहंता ने कहा, "बीजेडी नेताओं ने नवीन पटनायक पर अपना भरोसा खो दिया है। बीजेडी का आरोप झूठा है। हमारे पास राज्यसभा और लोकसभा में संख्या है। वह अपनी पार्टी से इस्तीफा दे रही हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर वह वहां रहीं, तो वह अपने क्षेत्र का विकास नहीं कर सकतीं। इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी।" चुनाव आयोग जल्द ही उनके इस्तीफे के कारण खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए चुनाव की घोषणा कर सकता है। गौरतलब हो कि, 78 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से, भाजपा के राज्यसभा चुनाव आसानी से जीतने की संभावना है।
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