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एक साल में नक्सलियों का सफाया! जानें कितनी गहरी जड़ें हैं नक्सलवाद की, और क्या होगा अगले साल?

Naxalism History and Challenges in India: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सोमवार को नक्सलियों के द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट ने एक बार फिर देश को हिला दिया है, जिसमें 8 जवानों की जान चली गई। यह हमला उस समय हुआ...
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Naxalism History and Challenges in India: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सोमवार को नक्सलियों के द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट ने एक बार फिर देश को हिला दिया है, जिसमें 8 जवानों की जान चली गई। यह हमला उस समय हुआ जब देशभर में नक्सलवाद के खिलाफ बड़े सैन्य अभियान चलाए जा रहे हैं, और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दावा है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह से सफाया कर दिया जाएगा। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सरकार ( Naxalism History and Challenges in India )का यह 'नक्सल मुक्त' लक्ष्य इतनी बड़ी चुनौती से पार पा सकेगा? नक्सलियों का नेटवर्क कितना व्यापक है और सेना के सामने यह कितना कठिन संघर्ष है? साथ ही, पिछले 57 वर्षों में नक्सलवाद ने देश में क्या बदलाव देखे हैं, और आज भी यह कितना मजबूत या कमजोर हुआ है?

नक्सलवाद का इतिहास और शुरुआत

नक्सलवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग जिले के नक्सलबाड़ी गांव से हुई थी, जहां किसानों के शोषण के खिलाफ एक आंदोलन ने इस उग्रवाद की नींव रखी थी। इस आंदोलन के बाद, नक्सलवाद ने धीरे-धीरे देश के कई हिस्सों में अपनी जड़ें फैला लीं।

2000 के बाद नक्सलवाद में उभार

2000 के बाद नक्सलवाद ने एक नया रूप लिया और इसके हमले अधिक हिंसक हो गए। 1 अक्टूबर 2003 को नक्सलियों ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के काफिले पर हमला किया था। इसके बाद आंध्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप इस साल 246 नक्सलियों की मौत हुई थी।

नक्सली हमलों की भयावहता...अन्य राज्यों में प्रभाव

नक्सलवाद का प्रभाव और हमलों की संख्या बढ़ी, जिसमें कई पुलिसकर्मी, सैनिक, और नेता मारे गए। ओडिशा में 2005 से 2008 के बीच 700 लोगों की जान गई। इन हमलों ने नक्सलवाद को एक गंभीर राष्ट्रीय खतरे के रूप में स्थापित कर दिया।

नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए सरकार के प्रयास

केंद्र और राज्य सरकारों ने नक्सलवाद के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन चलाए हैं। 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नक्सलवाद को देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था। सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेना की तैनाती बढ़ाई और नागरिकों को भी नक्सलियों से लड़ने के लिए प्रशिक्षण दिया, जिसे सलवा जुडूम कहा गया, हालांकि बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बंद कर दिया गया।

2021 तक नक्सल नेटवर्क का आकार

2021 तक, नक्सलवाद ने 10 राज्यों के करीब 70 जिलों में अपनी मौजूदगी बनाए रखी थी, और सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य झारखंड और छत्तीसगढ़ थे। इसके अलावा, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल में भी नक्सलियों की कुछ मौजूदगी थी।

नक्सल हमलों में हुई मौतें

1990 के बाद नक्सली हमलों में लगातार वृद्धि हुई। 1996 में नक्सल हमलों में 156 मौतें हुईं, और 1997 में यह आंकड़ा बढ़कर 348 तक पहुंच गया। 2009 और 2010 में नक्सल हमलों में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जहां यह आंकड़ा एक हजार के पार रहा। कुल मिलाकर, 1995 से 2024 तक नक्सलवाद के कारण 14,000 से अधिक मौतें हुईं, जिनमें आम नागरिक, जवान, और नक्सली शामिल थे।

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