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NEP Row: तीन-भाषा फॉर्मूले पर विवाद के बीच अमित शाह का बड़ा ऐलान, दिसंबर से राज्यों की भाषाओं में होगा संवाद

NEP Row: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर विवाद के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्यसभा में बड़ा ऐलान किया।
07:56 PM Mar 21, 2025 IST | Ritu Shaw

NEP Row: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर मचे घमासान के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्यसभा में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि दिसंबर के बाद गृह मंत्रालय राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और आम नागरिकों से उनकी अपनी भाषा में लिखित संवाद करेगा।

गृह मंत्री ने क्या कहा?

अमित शाह ने कहा, "दिसंबर के बाद मैं नागरिकों, मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और सांसदों से उनकी अपनी भाषा में पत्राचार करूंगा। यह उन लोगों को करारा जवाब है, जो भ्रष्टाचार छिपाने के लिए भाषा के नाम पर अपनी दुकान चला रहे हैं।" गृहमंत्री ने कहा कि भाषा को लेकर देश में अब तक काफी विभाजन हो चुका है और अब ऐसा नहीं होना चाहिए।

अमित शाह ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, "क्या कहा जा रहा है? कि हम दक्षिण की भाषाओं का विरोध कर रहे हैं? यह कैसे संभव है?... मैं गुजरात से हूं, निर्मला सीतारमण तमिलनाडु से हैं। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?" उन्होंने स्पष्ट किया कि हर भारतीय भाषा देश की धरोहर है और हिंदी किसी भी भाषा से प्रतिस्पर्धा नहीं करती।

शाह ने कहा, "मैंने बार-बार कहा है कि हिंदी का किसी भी भारतीय भाषा से कोई मुकाबला नहीं है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की मित्र है।"

तमिलनाडु बनाम केंद्र - क्या है पूरा मामला?

अमित शाह का यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच तनातनी जारी है। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके सरकार केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रही है। राज्य सरकार का कहना है कि वह अपने पुराने दो-भाषा फॉर्मूले (तमिल और अंग्रेजी) से पीछे नहीं हटेगी।

वहीं, केंद्र सरकार ने साफ किया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किसी भी बच्चे पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। तीन-भाषा फॉर्मूले में लचीलापन रहेगा और राज्य, क्षेत्र और छात्र अपनी पसंद की भाषा चुन सकेंगे। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने संसद में बताया, "तीन-भाषा फॉर्मूले में पूरी लचीलापन दिया गया है और किसी राज्य पर कोई भाषा थोपने का सवाल ही नहीं है।"

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