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Parliament Winter Session: अदानी विवाद और मणिपुर हिंसा बनेंगे संसद सत्र की मुख्य धुरी

Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच कई अहम मुद्दों पर तीखी बहस होने की संभावना है। इस दौरान कांग्रेस ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के...
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Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच कई अहम मुद्दों पर तीखी बहस होने की संभावना है। इस दौरान कांग्रेस ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों और मणिपुर में हिंसा जैसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर उठाने की घोषणा की है, जबकि आंध्र प्रदेश के दल पुनर्गठन अधिनियम के तहत अधूरे वादों पर जवाब मांग रहे हैं।

सरकार ने सत्र के लिए 16 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें वक्फ (संशोधन) विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक जैसे विवादास्पद विधेयक शामिल हैं। इस सत्र में देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहन चर्चा होने की संभावना है। ऐसे में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी दलों से आग्रह किया कि वे 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलने वाले सत्र के सुचारू संचालन के लिए सहयोग करें।

कांग्रेस ने उठाए अडानी और मणिपुर के मुद्दे

कांग्रेस के लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई ने अडानी समूह पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों को "घोटाला" बताया और इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर उठाने की मांग की। अमेरिकी अभियोजकों के अनुसार, अडानी समूह की कंपनियों ने चार राज्यों में सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को कथित तौर पर 265 मिलियन डॉलर (करीब 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी। हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने इस मामले पर तुरंत चर्चा की मांग करते हुए इसे भारत की आर्थिक और सुरक्षा हितों के लिए गंभीर मुद्दा बताया। विपक्ष ने मणिपुर में हिंसा पर बहस की मांग को फिर दोहराया। गोगोई ने मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह को सरकार का समर्थन जारी रखने पर सवाल उठाया।

आंध्र प्रदेश के दलों ने पुनर्गठन अधिनियम के वादों पर दिया जोर

भाजपा के सहयोगी दल तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और जन सेना पार्टी ने 2014 के आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत अधूरे वादों को उठाया। टीडीपी नेता लावू श्री कृष्ण देवरेयालु ने पोलावरम सिंचाई परियोजना सहित लंबित परियोजनाओं पर अपडेट की मांग की और दक्षिणी शहरों में आपदा प्रबंधन पर चर्चा की आवश्यकता जताई।

अन्य चिंताएं और विधायी एजेंडा

द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) के तिरुचि शिवा ने प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की। लोकसभा सांसद अरुण भारती ने बिहार में बाढ़ राहत और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए लेटरल एंट्री प्रावधानों के तहत संवैधानिक सुरक्षा की जरूरत पर जोर दिया।

सरकार ने सत्र के दौरान विचार के लिए 16 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक भी शामिल हैं। साथ ही, एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर भी चर्चा होने की संभावना है। हालांकि, अब तक कोई औपचारिक प्रस्ताव पेश नहीं किया गया है। यह सेशन देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर सरकार से जवाबदेही की मांग करते हुए तीखी बहसों का साक्षी बनने की संभावना है।

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