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Ratan Tata: रतन टाटा को दादी से मिले नैतिक मूल्य...कुत्तों के लिए 165 करोड़ में खोला अस्पताल...यह बातें नहीं जानते होंगे आप?

Ratan Tata Passes Away: जयपुर। भारत के नामी उद्योगपति रतन टाटा अब नहीं रहे। रतन टाटा को सेहत खराब होने पर मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां बुधवार देर शाम रतन टाटा का निधन (Ratan Tata Passes...
09:52 AM Oct 10, 2024 IST | Rajasthan First

Ratan Tata Passes Away: जयपुर। भारत के नामी उद्योगपति रतन टाटा अब नहीं रहे। रतन टाटा को सेहत खराब होने पर मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां बुधवार देर शाम रतन टाटा का निधन (Ratan Tata Passes Away) हो गया। रतन टाटा देश के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपति थे। उन्होंने बिजनेस में जितना नाम कमाया। उससे भी ज्यादा उन्हें मानवता के क्षेत्र में किए गए कामों के लिए पहचाना जाता था। आइए जानते हैं रतन टाटा से जुड़ी कुछ खास बातें...

दादी से मिले नैतिक मूल्यों को जीवनभर निभाया

रतन टाटा का जन्म 8 दिसंबर 1937 को हुआ था। वह नवल टाटा के सबसे बड़े बेटे थे। मगर रतन टाटा जब 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए। ऐसे में रतन टाटा को उनकी दादी ने पाला। दादी ने ही रतन टाटा को नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी, जिनका रतन टाटा ने आजीवन पालन किया।

देश से विदेश तक टाटा को खूब मिला सम्मान

रतन टाटा को मानवता के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए देश से विदेश तक कई सम्मान मिले। भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण की उपाधियों से नवाजा गया। जबकि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने भी उन्हें मानद उपाधि दी थी। इटली, फ्रांस, सिंगापुर, जापान और आस्ट्रेलिया की सरकारों ने भी टाटा का सम्मान किया।

रतन टाटा के नेतृत्व में कंपनी को मिली ऐतिहासिक ग्रोथ

रतन टाटा ने टाटा समूह को लाभदायक कॉर्पोरेट कंपनी में बदला। उनके नेतृत्व में ही टाटा ग्रुप ने जगुआर, लैंड रोवर, रिट्ज कार्लटन और इतालवी एयरोस्पेस निर्माता पियाजियो जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया। जब रतन टाटा टाटा समूह के अध्यक्ष थे, तब 2011-12 में पहली बार कंपनी ने 100 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार किया था।

165 करोड़ से जानवरों के लिए बनाया अस्पताल

रतन टाटा का मानवता के क्षेत्र में ही योगदान नहीं रहा...उनका पशु-पक्षियों से भी काफी लगाव था। रतन टाटा ने जानवरों के लिए 165 करोड़ की लागत से 20 एकड से ज्यादा एरिया में मॉर्डन हॉस्पिटल खोला था। जिससे जानवरों को भी समुचित इलाज मिल सके।

शिक्षण संस्थाओं को दिया अरबों का अनुदान

भारत के नामी उद्योगपति रतन टाटा का शिक्षा के क्षेत्र में भी अतुलनीय योगदान रहा। उन्होंने शिक्षण संस्थानों की बेहतरी के लिए अरबों रुपए का अनुदान दिया। भारत के साथ उन्होंने विदेशों में भी शिक्षा को बढ़ावा दिया। रतन टाटा ने सैन डिएगो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय को 70 मिलियन डॉलर और उनके अल्मा मेटर को 50 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था।

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