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Republic Day Parade: देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है 76वां गणतंत्र दिवस, कर्तव्य पथ पर परेड जारी

Republic Day Parade:  भारत आज अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने पर राजधानी दिल्ली में हर वर्ष से अलग खास समारोह का आयोजन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री...
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Republic Day Parade: भारत आज अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने पर राजधानी दिल्ली में हर वर्ष से अलग खास समारोह का आयोजन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गणतंत्र दिवस पर लोगों को शुभकामनाएं दीं।

समारोह (Republic Day Parade) की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर कर्तव्य पथ की ओर रवाना हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो के साथ परेड में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचीं। वे एक खास बग्गी में सवार होकर कर्तव्य पथ पर पहुंचीं थीं।

विरासत और विकास' थीम पर 31 झांकियां कर्तव्य पथ पर उतरीं

इस गणतंत्र दिवस पर पहली बार तीनों सेनाओं की झांकी सशस्त्र बलों के बीच एकजुटता और एकीकरण की भावना को प्रदर्शित कर रही हैं। संभवत: यह पहला मौका होगा जब कम से कम 5,000 कलाकार कर्तव्य पथ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे हैं। राष्ट्रीय महत्व के आयोजनों में 'जन भागीदारी' बढ़ाने के सरकार के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, समारोह में लगभग 10,000 मेहमानों को आमंत्रित किया गया है। सुबह 10.30 बजे शुरू हुई यह परेड लगभग 90 मिनट तक चलेगी।

इंडोनेशिया की खास भागीदारी

परेड में इंडोनेशियाई राष्ट्रीय सशस्त्र बलों के 152 सदस्यों वाले एक मार्चिंग दस्ते और इंडोनेशिया की सैन्य अकादमी के 190 सदस्यों वाले एक बैंड ने भाग लिया। घुड़सवार दस्ते का नेतृत्व करने वाली पहली सैन्य टुकड़ी 61 कैवेलरी की थी, जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट अहान कुमार कर रहे थे। 1953 में गठित 61 कैवेलरी दुनिया की एकमात्र सेवारत घुड़सवार रेजिमेंट है।

Republic Day Parade में भारतीय संस्कृति की झलक

परेड की शुरुआत 300 सांस्कृतिक कलाकारों ने दिल छू लेने वाले अंदाज में की। इन कलाकारों ने देश के अलग-अलग हिस्सों से लाए गए संगीत वाद्ययंत्रों के साथ 'सारे जहां से अच्छा' बजाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। जो वाद्ययंत्रों खासतौर पर कार्यक्रम के लिए लाए गए, उनमें- शहनाई, सुंदरी, नादस्वरम, बीन, मशक बीन, रणसिंह - राजस्थान, बांसुरी, करदी मजालू, मोहुरी, शंख, तुतारी, ढोल, घंटा, निशान, चंग, ताशा, संबल, चेंडा, इडक्का, लेज़िम, थविल, गुदुम बाजा, तालम और मोनबाह शामिल हैं।

संस्कृति के साथ शक्ति का भी समावेश

कर्तव्य पथ पर चल रही परेड में ना सिर्फ भारतीय संस्कृति की झलक दिखी है,  बल्कि देश की शक्ति का भी इस समारोह में प्रदर्शन किया जाना है। इसके लिए कुछ खास सैन्य हथियार और टेक्नीक्स को बानगी के तौर पर पेश किया जाएगा। इनमें टी-90 (भीष्म) टैंक, बीएमपी-2 सरथ के साथ नाग मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, पिनाका मल्टी-लॉन्चर रॉकेट प्रणाली, आकाश हथियार प्रणाली, लाइट स्पेशलिस्ट वाहन (बजरंग), और वाहन पर लगे पैदल सेना मोर्टार प्रणाली (ऐरावत) शामिल हैं।

हमारे रक्षक; हमारी हिम्मत

समारोह में खास तौर पर 'सशक्त और सुरक्षित भारत' थीम पर तीनों सेनाओं की झांकी में स्वदेशी अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक, तेजस MKII लड़ाकू विमान, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, विध्वंसक INS विशाखापत्तनम और एक रिमोट से संचालित विमान के साथ जमीन, पानी और हवा में एक कंबाइड ऑपरेशन की झांकी दिखाई गई। एक अन्य मुख्य आकर्षण 'विकसित भारत की ओर सदैव अग्रसर' थीम पर झांकी पेश की गई, जो अनुशासन, नम्रता और अटूट समर्पण के प्रतीक हैं।

Republic Day Parade में खेलों को भी सम्मान

समारोह के दौरान उन दिग्गजों को भी शामिल किया गया है, जिन्होंने खेलों में भारत को गौरवान्वित किया है। उनमें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित सूबेदार मुरलीकांत पेटकर, जिनकी कहानी ने बॉलीवुड फिल्म चंदू चैंपियन और मानद कैप्टन जीतू राय को प्रेरित किया। तीनों सेवाओं की अनुभवी महिला अधिकारी - लेफ्टिनेंट कर्नल रविंदरजीत रंधावा, लेफ्टिनेंट कमांडर मणि अग्रवाल के साथ कर्तव्य पथ पर मार्च करने वाली टुकड़ियों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 148 सदस्यीय महिला मार्चिंग टुकड़ी शामिल थी, जिसका नेतृत्व सहायक कमांडेंट ऐश्वर्या जॉय एम. कर रही थीं।

इस तरह होगा Republic Day Parade का समापन

गणतंत्र दिवस समारोह हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर आयोजित होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ समाप्त होगा। यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जब सैनिक लड़ाई बंद कर देते थे, अपने हथियार डाल देते थे, युद्ध के मैदान से हट जाते थे और सूर्यास्त के समय "रिट्रीट" की ध्वनि के साथ शिविरों में लौट आते थे। बीटिंग रिट्रीट समारोह 2025 के दौरान, भाग लेने वाले सभी बैंड द्वारा केवल भारतीय धुनें बजाई जाएंगी।

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