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BJP-RSS के रिश्तों में चरम पर कड़वाहट!...भागवत से लेकर इंद्रेश तक...क्यों बढ़ गई है इतनी खाई, जानें पूरी कहानी

"राम सबके साथ न्याय करते हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में जिन्होंने राम की भक्ति की उनमें अहंकार आ गया तो उस पार्टी को 241 पर रोक दिया...पर सबसे बड़ी बना दिया, वहीं जिनके राम के प्रति आस्था नहीं थी,...
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"राम सबके साथ न्याय करते हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में जिन्होंने राम की भक्ति की उनमें अहंकार आ गया तो उस पार्टी को 241 पर रोक दिया...पर सबसे बड़ी बना दिया, वहीं जिनके राम के प्रति आस्था नहीं थी, अश्रद्धा थी...उन सबको मिलकर 234 पर रोक दिया"

- जयपुर में RSS के इंद्रेश कुमार

"जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है, गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता वह ही सही मायनों में सेवक कहलाने का अधिकारी होता है" मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है...त्राहि-त्राहि कर रहा है, उस पर कौन ध्यान देगा? अब जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए"

- RSS प्रमुख मोहन भागवत

"कोई भी लक्ष्य कड़ी मेहनत से हासिल होता है ना कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करने से, बीजेपी नेता अपने बुलबुले में खुश थे और मोदी की चमक का आनंद ले रहे थे इसलिए उन्हें सड़कों पर पब्लिक की आवाज सुनने का मौका ही नहीं मिला"

- RSS के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में रतन शारदा

.....ये तीनों बयान इन दिनों देश के सियासी गलियारों में सबसे बड़ी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं जहां पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के समानांतर इन बयानों की तपिश ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है. अब ये बयान किसके हैं, क्यों इतने अहम हैं और इनको लेकर इतनी खलबली क्यों मची है आइए पूरी कहानी विस्तार से बताते हैं।

दरअसल देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के चेहरों, उसकी नीतियों और विचारों का जब भी जिक्र होता है साथ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का जिक्र हर हाल में होता है जहां देश की सत्ता में पिछले 10 साल से बीजेपी काबिज है 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता के सिंहासन पर काबिज हो गए हैं।

अगर हम बीजेपी के राजनीतिक इतिहास को खंगाले तो सालों से संघ का सफर भी साथ चलता रहा है जहां दोनों का चोली-दामन का साथ देश की सियासत के केंद्र में है लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में जब पीएम मोदी तीसरी बार सूबे के हाकिम बनने की ओर अग्रसर हुए तो संघ के कदमों की चाल पर हर किसी की नजरें टिक गई।

बता दें कि इस बार 7 चरणों में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद एक सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है कि क्या बीजेपी और आरएसएस में खाई बन गई है? क्‍या आरएसएस बीजेपी से नाराज हैं क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव में आरएसएस ने बीजेपी के लिए जमीन पर वैसे भागदौड़ नहीं की और अब चुनावों के बाद संघ के दिग्गजों के आने वाले बयान संघ की नाराजगी की कहानी को मजबूत करते दिख रहे हैं। हाल में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, इंद्रेश कुमार के बयान और संघ के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में छपे लेख में कही बात हर जगह संघ लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के प्रदर्शन पर सवाल उठा रहा है और आत्मचिंतन करने की सलाह दी जा रही है. इसके अलावा अहंकार, जनता से कटाव और एक चेहरे में गुम हो जाने पर संघ लगातार कोस रहा है।

नड्डा के बयान से शुरू हुई पूरी कहानी...!

मालूम हो कि लोकसभा चुनावों से पहले संघ और बीजेपी के रिश्तों को लेकर अटकलें लगाई जाने लग गई थी जहां चुनाव के ठीक पहले BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान ने हलचल मचा दी। एक इंटरव्यू में जेपी नड्डा ने कहा था कि पहले बीजेपी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की जरूरत थी लेकिन आज हम सक्षम है, आज पार्टी अपने आप को चला रही है. उन्होंने आगे कहा कि शुरू में हम अक्षम रहे होंगे, थोड़ा कम होंगे तब हमें RSS की जरूरत पड़ती थी लेकिन आज हम आगे बढ़ गए हैं और अब BJP अपने आप को चला रही है। नड्डा के इस बयान के बाद माना गया कि संघ और बीजेपी के रिश्ते खटास में है और चुनावों तक लगातार ये चर्चा चलती रही।

लोकसभा चुनाव में फिसली बीजेपी...!

वहीं हाल में लोकसभा चुनावों में बीजेपी इस बार बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई और 241 सीटों पर रूक गई जिसके बाद गठबंधन के सहयोगी दल जेडीयू औक टीडीपी के साथ मिलकर बीजेपी ने एनडीए की सरकार बनाई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। बीजेपी ने इस बार चुनावों से पहले 400 पार का नारा दिया था लेकिन बीजेपी का रथ बहुमत के पास भी नहीं पहुंच पाया। हालांकि संघ का इस बार चुनावों में पहले की तरह सक्रिय नहीं रहना भी बीजेपी की कम सीटों की बड़ी वजह माना गया।

इसके अलावा संघ और बीजेपी हाईकमान के बीच रिश्तों की कमजोरी चुनावों से पहले टिकट वितरण के दौरान भी देखी गई जहां लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान चर्चा चली कि इस बार संघ की उतनी नहीं चली जितनी पिछले चुनावों में चलती थी. वहीं इस बार संघ को जिस तरह दरकिनार किया गया उसको लेकर संघ के कार्यकर्ताओं के बीच एक गलत संदेश गया जिसके बाद संघ के लोगों ने उस तरह से सक्रिय भूमिका नहीं निभाई जैसी वो सालों से निभाते रहे हैं।

मोहन भागवत ने दी नसीहत...!

वहीं चुनावों के नतीजे आने के बाद सबसे पहले बयानों की शुरूआत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि विपक्ष को विरोधी पक्ष की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए और जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है वो गर्व करता है लेकिन अहंकार की वहां कोई जगह नहीं है. भागवत ने आगे कहा कि अहंकार करने वाला सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी नहीं है।

इसके अलावा भागवत ने मणिपुर के मसले पर बोलते हुए आगे कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है, बीते 10 सालों से राज्य में शांति थी लेकिन अचानक से वहां कलह होने लगी या कलह करवाई गई लेकिन आज भी मणिपुर आग में जल रहा है...त्राहि-त्राहि कर रहा है, उस पर कौन ध्यान देगा? उन्होंने कहा कि अब जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए। भागवत का ये बयान आने के बाद खलबली मच गई और माना गया कि ये सीधा दो टूक संदेश मोदी सरकार को है।

संघ के मुखपत्र में तीखा हमला...!

वहीं भागवत के बाद ये सिलसिला RSS के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में बरकरार रहा जहां हाल में छपे एक लेख में BJP के '400 पार' वाले नारे पर कटाक्ष करते हुए RSS के सदस्य रतन शारदा ने लिखा कि - कोई भी लक्ष्य कड़ी मेहनत से हासिल होता है ना कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करने से और BJP नेता अपने बुलबुले में खुश थे वो मोदी की चमक का आनंद ले रहे थे जिसके चलते वो सड़कों पर लोगों की आवाज को सुन ही नहीं सके।

इसके अलावा लेख में आगे लिखा है कि इस बार संघ पर आरोप लगा है कि हमनें BJP के लिए काम नहीं किया लेकिन मैं साफ कहना चाहता हूं कि RSS बीजेपी की फील्ड फोर्स नहीं है और बीजेपी दुनिया की इतनी बड़ी पार्टी है और उसके पास अपने कार्यकर्ता हैं और चुनावों में वोटर्स तक पहुंचना पार्टी का काम है।

...और फिर इंद्रेश ने दिखाया अहंकार पर आईना

वहीं इसी कड़ी में गुरुवार को जयपुर में RSS के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने बीजेपी की कमजोर परफॉर्मेंस पर तीखा हमला बोला है। इंद्रेश ने कहा कि जिन्होंने राम का विरोध किया उन्हें बिल्कुल भी शक्ति नहीं दी, वो सब मिलकर भी नंबर-1 नहीं बने और नंबर-2 पर खड़े रह गए लेकिन जिस पार्टी ने भक्ति की पर उसमें अहंकार आ गया उस पार्टी को 241 पर रोक दिया लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बना दी। इंद्रेश ने कहा कि ये राम का न्याय है, राम किसी के साथ भेदभाव नहीं करते हैं और राम सजा नहीं देते हैं। माना जा रहा है कि इंद्रेश कुमार का बयान भी बीजेपी को आईना दिखाने जैसा ही है जहां उन्होंने किसी का नाम लिए बिना सीधा हमला बोला है।

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