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RSS का बयान! मंदिरों के प्रचार को राजनीति से क्यों जोड़ा गया? भागवत ने क्या कहा, जानिए!

RSS chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुखपत्र पांचजन्य ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए एक तीखा संपादकीय प्रकाशित किया है। इसमें पांचजन्य ने कहा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक...
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RSS chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुखपत्र पांचजन्य ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए एक तीखा संपादकीय प्रकाशित किया है। इसमें पांचजन्य ने कहा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते मंदिरों का प्रचार कर रहे हैं और खुद को हिंदू विचारक के रूप में पेश कर रहे हैं।( RSS chief Mohan Bhagwat) यह टिप्पणी उस समय आई है जब देश में धार्मिक मुद्दों पर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। पांचजन्य ने इस मुद्दे को राजनीति से परे रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि समाज में कोई नई नफरत या बंटवारा न हो।

मंदिरों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल गलत

पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने संपादकीय 'मंदिरों पर यह कैसा दंगल' में स्पष्ट रूप से कहा कि मंदिरों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने इसे राजनीति का हथियार न बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। भागवत का बयान गहरी दृष्टि और सामाजिक विवेक का आह्वान था, जिसे समाज के सभी वर्गों को समझने की आवश्यकता है।

 समाज में सामंजस्य और सौहार्द की आवश्यकता

मोहन भागवत ने 19 दिसंबर को पुणे में कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग नई जगहों पर इसी प्रकार के मुद्दे उठाकर हिंदू समाज के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह सवाल उठाते हैं कि हर दिन नए विवादों को क्यों उठाया जा रहा है। भागवत ने समाज से अपील की कि भारत को यह दिखाने की आवश्यकता है कि हम एक साथ रह सकते हैं और इस मुद्दे को सामंजस्यपूर्ण तरीके से हल किया जा सकता है।

मीडिया में बढ़ती अनावश्यक बहस... भ्रामक प्रचार

भागवत के बयान के बाद मीडिया में एक प्रकार की लड़ाई जैसी स्थिति पैदा हो गई है। संपादकीय में इसे जानबूझकर बनाई गई स्थिति बताया गया। इसमें यह भी कहा गया कि इस प्रकार के बयान से कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। भागवत का बयान समाज से इस मुद्दे पर समझदारी से निपटने की एक स्पष्ट अपील थी, जिससे समाज में भ्रम और हिंसा की स्थिति न बने।

सोशल मीडिया पर असामाजिक तत्वों का प्रभाव

पांचजन्य ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि सोशल मीडिया पर कुछ असामाजिक तत्व समाज की भावनाओं का शोषण कर रहे हैं। यह चिंताजनक है, क्योंकि यह समाज में गलत विचारधारा फैलाने का कारण बन सकता है। ऐसे असंगत विचारकों से बचने की आवश्यकता है, जो समाज को उलझाने और राजनीति के लिए गलत दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत की सांस्कृतिक धरोहर ... सामंजस्यपूर्ण समाज

पांचजन्य ने यह भी कहा कि भारत एक सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है, जो विविधता में एकता का सिद्धांत सिखाता है। आज के समय में मंदिरों से जुड़े मुद्दों को राजनीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चिंता का विषय है। भागवत का संदेश यह है कि हिंदू समाज को अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए राजनीतिक झगड़ों और विवादों से बचना चाहिए।

 सभ्यतागत न्याय की लड़ाई

RSS के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने मोहन भागवत के बयान से अलग राय व्यक्त की। संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा कि यह लड़ाई धार्मिक वर्चस्व की नहीं, बल्कि सभ्यतागत न्याय की है। उन्होंने इसे हमारी राष्ट्रीय पहचान की पुष्टि करने और समाज में समानता लाने की लड़ाई बताया। केतकर ने कांग्रेस पर जातियों का चुनावी फायदे के लिए शोषण करने का आरोप लगाया और कहा कि अंबेडकर ने जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करने के लिए संवैधानिक उपायों की जरूरत पर बल दिया था।

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