RTI Data Protection: RTI कानून कमजोर करने का आरोप, कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा
RTI Data Protection: कांग्रेस ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर नवप्रस्तावित डेटा संरक्षण कानून के माध्यम से सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को कमजोर करने का आरोप लगाया। पार्टी ने दावा किया कि वह "तानाशाही" शासन के खिलाफ लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर एक पोस्ट में कहा, "एक तरफ भारत पिछले कुछ वर्षों से गलत सूचना और दुष्प्रचार में सबसे आगे रहा है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार डेटा संरक्षण कानून लाकर कांग्रेस-यूपीए द्वारा लागू किए गए सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को कमजोर करने में लगी हुई है।"
कांग्रेस की मांग
खड़गे ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़ी जानकारी, जैसे राशन कार्ड सूची, मनरेगा के लाभार्थी श्रमिक, सार्वजनिक कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों के नाम, चुनावों में मतदाता सूची, या सरकारी बैंकों से ऋण लेकर विदेश भागने वाले 'घोटालेबाज अरबपतियों' के नाम, सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध होने चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, "कांग्रेस के RTI अधिनियम में निजता के अधिकार का भी ध्यान रखा गया था, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि लाभार्थियों की सूची या धोखाधड़ी करने वालों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाएं।"
खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार "डेटा संरक्षण के नाम पर RTI को कमजोर कर रही है," जिससे ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी अब सार्वजनिक नहीं हो पाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी RTI को कमजोर नहीं होने देगी और इसके लिए सड़कों से लेकर संसद तक अपनी आवाज उठाती रहेगी।
RTI अधिनियम और डेटा संरक्षण कानून का टकराव
2005 में कांग्रेस-नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा लागू किया गया RTI अधिनियम नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। हालांकि, 2023 में पारित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के कारण इस अधिनियम की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।
सरकार का तर्क है कि नया कानून व्यक्तिगत गोपनीयता की रक्षा के लिए लाया गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के ऐतिहासिक फैसले (न्यायमूर्ति के. एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ) में मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी।
कांग्रेस का कहना है कि गोपनीयता का अधिकार महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सार्वजनिक हित की जानकारी को छिपाने का आधार नहीं बनना चाहिए। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर संसद में और सड़कों पर कांग्रेस का विरोध कितना प्रभावी साबित होता है।
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