SC On Ballot Paper: "जब आप जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती?" पेपर बैलेट की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
SC On Ballot Paper: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा, "आपको ये शानदार विचार कैसे आते हैं?" यह याचिका देश में चुनावों में बैलेट पेपर से मतदान की वापसी की मांग कर रही थी।
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता केए पॉल ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगनमोहन रेड्डी जैसे नेताओं ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में गड़बड़ी पर सवाल उठाए हैं। इस पर जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की पीठ ने टिप्पणी की, "जब आप चुनाव जीतते हैं तो EVM या वोटिंग मशीन में गड़बड़ी नहीं होती।"
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
पीठ ने कहा, "जब चंद्रबाबू नायडू या श्री रेड्डी हारते हैं, तो वे कहते हैं कि EVM में गड़बड़ी हुई है और जब वे जीतते हैं, तो कुछ नहीं कहते। हम इसे कैसे देखें? हम इसे खारिज कर रहे हैं। यह वह स्थान नहीं है जहां आप यह सब तर्क दे सकते हैं।"
पॉल ने यह भी अनुरोध किया कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि जो उम्मीदवार चुनाव के दौरान मतदाताओं को पैसे, शराब या अन्य चीजों का प्रलोभन देते हुए पाए जाएं, उन्हें न्यूनतम पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए।
इस पर शीर्ष अदालत ने उनसे पूछा, "आपके पास दिलचस्प जनहित याचिकाएं हैं। आपको ये शानदार विचार कैसे आते हैं?"
केए पॉल, एक संगठन के अध्यक्ष हैं जिसने तीन लाख अनाथों और 40 लाख विधवाओं की मदद की है, उनसे पीठ ने कहा, "आप इस राजनीतिक क्षेत्र में क्यों प्रवेश कर रहे हैं? आपका काम करने का क्षेत्र तो बिल्कुल अलग है।"
पॉल ने EVM में गड़बड़ी की संभावना जताते हुए कहा कि भारत को अमेरिका जैसे देशों का अनुसरण करना चाहिए, जो EVM की जगह बैलेट पेपर का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि EVM लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करते हैं और यहां तक कि एलन मस्क जैसे प्रमुख व्यक्तित्व भी EVM गड़बड़ी पर चिंता जता चुके हैं।
पीठ ने पूछा सवाल
पीठ ने उनसे पूछा, "आप बाकी दुनिया से अलग क्यों नहीं होना चाहते?" अक्टूबर में महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव की तारीखों की घोषणा करते समय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने फिर से रेखांकित किया कि EVM सुरक्षित और मजबूत हैं। उन्होंने कहा, "कोई एक उदाहरण बताइए जहां इतनी पारदर्शिता और भागीदारी पर जोर दिया गया हो। यह संभव नहीं है कि जब परिणाम आपके पक्ष में न हो तो आप सवाल उठाने लगें।"
उन्होंने कहा, "मतलब कितनी बार? खैर।" चुनाव आयोग ने पिछले 10-15 चुनावों के परिणामों का हवाला देते हुए कहा, "आप बताइए कि कितनी पारदर्शी प्रक्रिया है? ऐसी दूसरी कोई प्रक्रिया बताइए जहां इतनी सार्वजनिक भागीदारी हो।"
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