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Sonam Wangchuk: लद्दाख को लेकर क्या हैं सोनम वांगचुक की मांगें? जिसके लिए पदयात्रा कर दिल्ली चले आए

Sonam Wangchuk: पर्यावरण संरक्षक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक, लद्दाख को लेकर दो मुख्य मांगों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन करने पहुंचे हैं। उनका आंदोलन लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने...
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Sonam Wangchuk: पर्यावरण संरक्षक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक, लद्दाख को लेकर दो मुख्य मांगों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन करने पहुंचे हैं। उनका आंदोलन लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना, जिससे स्थानीय लोगों को संवैधानिक सुरक्षा नहीं मिल रही है। आइये जानते हैं सोनम वांगचुक की वो मांगे क्या हैं, जिसे लेकर वे लद्दाख से पैदल यात्रा कर दिल्ली पहुंचे हैं।

मुख्य मांगें:
  • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।
  • लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।
  • लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग का गठन किया जाए।
  • लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें बनाई जाएं।

सोनम वांगचुक ने एक सितंबर से लद्दाख से दिल्ली के लिए पदयात्रा शुरू की थी, जिसमें उन्होंने अपनी चार सूत्रीय मांगों को उठाया। हाल ही में, दिल्ली पुलिस ने उन्हें और उनके 130 समर्थकों को सिंघु बॉर्डर से हिरासत में ले लिया, यह कहते हुए कि यहां बड़े समूह के एकत्र होने पर प्रतिबंध है। पुलिस ने निषेधाज्ञा 5 अक्टूबर तक लागू की है।

आंदोलन का कारण

मार्च में भी वांगचुक ने 21 दिन का अनशन किया था, जिसमें उन्होंने सरकार पर वादे तोड़ने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद लद्दाख के लोगों को उनकी पहचान और अधिकारों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक संरक्षण की आवश्यकता है। छठी अनुसूची के तहत, स्वायत्त जिला परिषदों के गठन का प्रावधान है, जो स्थानीय प्रशासन में अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा।

सोशल मीडिया पर दी जानकारी

सोनम वांगचुक ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्हें और उनके समर्थकों को भारी पुलिस बल द्वारा रोका गया। उन्होंने इस शांतिपूर्ण मार्च को लोकतंत्र की भावना का प्रतीक बताया, लेकिन पुलिस की तैनाती ने उनकी पदयात्रा को बाधित कर दिया। इस आंदोलन के पीछे लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) का समर्थन है, जो पिछले चार सालों से लद्दाख के मुद्दों को उठाते आ रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इन मांगों पर कैसे प्रतिक्रिया देती है।

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