कुछ लोग हमारे समुदाय को मानसिक रूप से गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं- राजकुमार रोत का खुलासा
Tribal identity and heritage: (मृदुल पुरोहित) विश्व आदिवासी अधिकार दिवस (World Tribal Rights Day) के अवसर पर आदिवासी परिवारों ने एक भव्य सभा का आयोजन किया। यह सभा शुरू में प्रमुख धार्मिक स्थल, घोटिया आंबा में होनी थी, लेकिन आदिवासी सनातन हिन्दू धर्म जन जागरण समिति के विरोध के कारण इसे अन्य स्थान पर आयोजित किया गया।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सांसद राजकुमार रोत ने जोर देकर कहा कि हमारी लड़ाई हक पाने, अपने अस्तित्व को बचाने और संविधान को साकार करने के लिए है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान हर व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन आरएसएस जैसी विचारधाराओं ने दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदायों को कमजोर करने के लिए आपस में लड़ाने का काम किया है। यह हमें एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान करता है।
सांसद ने मामा बालेश्वर दयाल जैसे महान नेताओं की उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिन्होंने आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने कुछ लोगों की आलोचना की, जिन्होंने पहले कहा था कि आदिवासी किसी धर्म में नहीं आते, लेकिन अब उनके विचारों में परिवर्तन आ गया है।
आदिवासी विरासत की पहचान
Rajkumar Roat ने कहा कि कुछ लोग हमारे समुदाय को मानसिक रूप से गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं। जब हम अधिकारों की बात करते हैं, तो धर्म को बीच में लाया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐतिहासिक रूप से आदिवासी परंपराएं और धार्मिक व्यवस्थाएं किसी भी स्थापित धर्म से मेल नहीं खातीं। संवैधानिक प्रावधान यह स्पष्ट करते हैं कि आदिवासी धर्म एक अलग पहचान है। न्यायालय के फैसले भी दर्शाते हैं कि आदिवासी हिन्दू, ईसाई, मुसलमान या बौद्ध नहीं हैं।
फिर भी, उन्होंने कहा कि हम गोविंद गुरु, मावजी महाराज और मामा बालेश्वर दयाल को मानेंगे और जोर दिया कि देश का संविधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को स्वीकार कर सकता है। हमें अपने भविष्य की पीढ़ियों को सच बताने की आवश्यकता है।
ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर आदिवासी सशक्तिकरण
रोत ने महाराणा प्रताप की ऐतिहासिक यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि उन्हें उनकी मां द्वारा पानरवा में भील परिवार में छोड़ दिया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि जबकि शक्तिसिंह और जगमाल ने अकबर के साथ संबंध बनाए, महाराणा प्रताप को भीलों की सेना का समर्थन मिला। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आदिवासी नेताओं ने कभी किसी का शोषण नहीं किया, और राजनीतिक दलों के गुलाम लोगों ने आदिवासियों का शोषण किया है।
कांति भाई आदिवासी ने सभा में कहा कि जिस प्रकार राजकुमार को सांसद बनाया गया, उसी तरह भविष्य में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी आदिवासी प्रतिनिधियों को चुनने की आवश्यकता है ताकि भील प्रदेश की मांग को पूरा किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर विभाजनकारी नीतियों का विरोध किया जाना चाहिए।
भारी सुरक्षा के बीच विशाल सभा
इस महत्वपूर्ण सभा में विधायक जयकृष्ण पटेल, राजू वलवाई, मांगीलाल ननोमा, अशोक भील, हेमंत राणा, राजेंद्र आमलियार, कलसिंह मकवाना, प्रभुलाल बुझ, हीरालाल दामा और राजू मईड़ा ने भी अपने विचार साझा किए। सभा में मोर्चा और बीएपी कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। संभावित विरोध के मद्देनजर भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया था।
महत्वपूर्ण बात यह है कि आदिवासी परिवारों ने 24 सितंबर के कार्यक्रम को लेकर आदिवासी सनातन हिन्दू धर्म जन जागरण समिति के खिलाफ प्रदर्शन किया था। उन्होंने सवाल उठाया कि सांसद राजकुमार एक ओर कहते हैं कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं, फिर वह हिंदू धार्मिक स्थल पर कार्यक्रम क्यों कर रहे हैं?
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